Ragini Pathak

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पुरुष कहते हैं बुद्धिहीन होती है गृहणियां हाँ बुद्धिहीन होती है हम गृहणियां। तभी तो घर को जोड़ कर रख पाती है गृहणियां। लेकिन भावनाओं से प्रबल होती है हम गृहणियां। तभी तो हम घर और समाज दोनों चलाते है। देश के भविष्य के लिए बच्चों को संस्कारी बनाते है। तुम्हारी बुद्धिमानी भी हमारी भावनाओं से ही मजबूत होती हैं। क्योंकि हम गृहणियां प्रेम,दया,श्रद्धा,समर्पण हर भावना को अपने अंदर समाये रखते है। हाँ गर्व से कहती हूँ एक गृहणी हूं मैं। तुम्हारी नजरों में गृहणी कुछ काम नहीं करती लेकिन बिना गृहणियों के किये ना तुम्हारा ना ही घर का कोई काम नही होता। ©Ragini Pathak

#कविता #बेकार #गृहणी #काम #औरत  पुरुष कहते हैं बुद्धिहीन होती है गृहणियां
हाँ बुद्धिहीन होती है हम गृहणियां।
तभी तो घर को जोड़ कर रख पाती है गृहणियां।
लेकिन भावनाओं से प्रबल होती है हम गृहणियां।
तभी तो हम घर और समाज दोनों चलाते है।
देश के भविष्य के लिए बच्चों को संस्कारी बनाते है।
तुम्हारी बुद्धिमानी भी हमारी भावनाओं से ही मजबूत होती हैं।
क्योंकि हम गृहणियां प्रेम,दया,श्रद्धा,समर्पण
 हर भावना को अपने अंदर समाये रखते है।
हाँ गर्व से कहती हूँ एक गृहणी हूं मैं।
तुम्हारी नजरों में गृहणी कुछ काम नहीं करती
लेकिन बिना गृहणियों के किये ना तुम्हारा ना ही घर का 
कोई काम नही होता।

©Ragini Pathak

इस बार होली पर नशा और अभद्रता से मुक्त होली मनाते है। रंगों में हो प्यार और आपसी सौहार्द का स्पर्श किसी अनजाने डर से ना बैठे कोई स्त्री घर में स्त्री किसी भी घर की हो अपनी या परायी घर की इस बार लिंग ,धर्म , जाति पाति से मुक्त  सब रंगों में रंग सब समानता के रंग में रंग होली का त्यौहार मनाते है। होली की हार्दिक शुभकामनाएं ©Ragini Pathak

#समाज  इस बार होली पर नशा और अभद्रता से मुक्त होली मनाते है।

रंगों में हो प्यार और आपसी सौहार्द का स्पर्श

किसी अनजाने डर से ना बैठे कोई स्त्री घर में

स्त्री किसी भी घर की हो अपनी या परायी घर की

इस बार लिंग ,धर्म , जाति पाति से मुक्त 

सब रंगों में रंग सब समानता के रंग में रंग

होली का त्यौहार मनाते है।


होली की हार्दिक शुभकामनाएं

©Ragini Pathak

इस बार होली पर नशा और अभद्रता से मुक्त होली मनाते है। रंगों में हो प्यार और आपसी सौहार्द का स्पर्श किसी अनजाने डर से ना बैठे कोई स्त्री घर में स्त्री किसी भी घर की हो अपनी या परायी घर की इस बार लिंग ,धर्म , जाति पाति से मुक्त  सब रंगों में रंग सब समानता के रंग में रंग होली का त्यौहार मनाते है। होली की हार्दिक शुभकामनाएं ©Ragini Pathak

3 Love

पति पत्नी के प्रेम की पूर्ण परिभाषा है गौरीशंकर। पत्नी के सम्मान और भावनाओं को पहले रखते गौरीशंकर रौद्ररूप में भी ना भूलें जो पत्नी के सम्मान को ऐसे है गौरीशंकर अर्धनारीश्वर का रूप अपना दिया समाज को एक सन्देश पति पत्नी दो जिस्म मगर एक रूह होते है। एक शिव के रूप में संसार मे विद्यमान तो दूजा शक्ति के रूप में शिव में विद्यमान होती है। बिन शक्ति शिव अधूरे शक्ति बिन शिव है। तेरा मेरा भाव से अलग हमारा घर संसार बनाकर चलते है। चेहरे को देखकर मन के भाव समझ लेते है। गुस्सा,गीले शिकवे, शिकायतों को छोड़कर एक दूजे को परस्पर प्रेम भाव से समझते समझाते है। इस रिश्ते में ना कोई बड़ा ना छोटा,ना अमीरी ना गरीबी, ना तेरा घर ना मेरा घर होता है। विवाह के पवित्र बंधन को निभाना, संयम,समर्पण,सम्मान एक दूजे के प्रति सिखाता। शिव और शक्ति का विवाह जिन्हें हम गौरीशंकर,अर्धनारीश्वर भी कहते है। रागिनीअजयपाठक 🙏 शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ©Ragini Pathak

#mahashivratri #समाज  पति पत्नी के प्रेम की पूर्ण परिभाषा है गौरीशंकर।
पत्नी के सम्मान और भावनाओं को पहले रखते गौरीशंकर
रौद्ररूप में भी ना भूलें जो पत्नी के सम्मान को  ऐसे है गौरीशंकर
अर्धनारीश्वर का रूप अपना दिया समाज को एक सन्देश
पति पत्नी दो जिस्म मगर एक रूह होते है।
एक शिव के रूप में संसार मे विद्यमान तो 
दूजा शक्ति के रूप में शिव में विद्यमान होती है।
बिन शक्ति शिव अधूरे शक्ति बिन शिव है।
तेरा मेरा भाव से अलग हमारा घर संसार बनाकर चलते है।
चेहरे को देखकर मन के भाव समझ लेते है।
गुस्सा,गीले शिकवे, शिकायतों को छोड़कर
एक दूजे को परस्पर प्रेम भाव से समझते समझाते है।
इस रिश्ते में ना कोई बड़ा ना छोटा,ना अमीरी ना गरीबी,
 ना तेरा घर ना मेरा घर होता है।
विवाह के पवित्र बंधन को निभाना,
संयम,समर्पण,सम्मान एक दूजे के प्रति सिखाता।
शिव और शक्ति का विवाह जिन्हें हम 
गौरीशंकर,अर्धनारीश्वर भी कहते है।
रागिनीअजयपाठक 🙏 
शिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

©Ragini Pathak

एक स्त्री प्रकृति समान जीवन प्रदान करती है। उस जीवन में वो ऊष्मा,ऊर्जा ,चेतना प्रदान करती है। जिसे दुनिया माँ कहकर पुकारती है। एक स्त्री जल के समान हर आकर प्रकार को स्वीकार करती है। बिना उफ्फ किए सबके जीवन को अपने प्रेम,त्याग,समर्पण से तृप्त करती है। पुरूष के पूरे जीवन में उसकी पूरी दुनिया है,एक स्त्री कभी मां,कभी बहन,कभी बेटी,कभी दोस्त,कभी प्रेमिका, कभी पत्नी है,एक स्त्री जिनके बिना उनका जीवन अधूरा है,उन्ही को अपमानित करते है,पूरी जिंदगी जिनके बिना वो कुछ नहीं उन्ही को कुछ नही समझते है। क्योंकि वो एक स्त्री है,और वो पुरूष होने का अहम रखते है। ©Ragini Pathak

#स्त्री #कविता #अपमान #bestfriends #Women  एक स्त्री प्रकृति समान जीवन प्रदान करती है।
उस जीवन में वो ऊष्मा,ऊर्जा ,चेतना प्रदान करती है।
जिसे दुनिया माँ कहकर पुकारती है।

एक स्त्री जल के समान हर आकर प्रकार को स्वीकार करती है।
बिना उफ्फ किए सबके जीवन को अपने प्रेम,त्याग,समर्पण से तृप्त करती है।


पुरूष के पूरे जीवन में उसकी पूरी दुनिया है,एक स्त्री
कभी मां,कभी बहन,कभी बेटी,कभी दोस्त,कभी प्रेमिका, कभी पत्नी है,एक स्त्री

जिनके बिना उनका जीवन अधूरा है,उन्ही को अपमानित करते है,पूरी जिंदगी
जिनके बिना वो कुछ नहीं उन्ही को कुछ नही समझते है।
क्योंकि वो एक स्त्री है,और वो पुरूष होने का अहम रखते है।

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हर याद तेरी पीछे छोड़कर हम आगे निकल आए थे आज आईने पर निगाह गयी तो देखा तेरी निशानी कमबख्त हम साथ लिए आए थे। लाख कोशिशें की मिटाने की जिन्हें वो गहरे जख्म बन हमें तेरी याद दिलाते रहे। और हम अपने आँसू को पानी की बूंदों से छिपाते जमाने के आगे मुस्कुराते रहे। और तेरी यादें हमेशा हमारे दिल मे दफन हो हमेशा हमारे साथ ही रही। ©Ragini Pathak

#कविता #holdinghands  हर याद तेरी पीछे छोड़कर हम आगे निकल आए थे
आज आईने पर निगाह गयी तो देखा तेरी निशानी कमबख्त हम साथ लिए आए थे।
लाख कोशिशें की मिटाने की जिन्हें
वो गहरे जख्म बन हमें तेरी याद दिलाते रहे।
और हम अपने आँसू को पानी की बूंदों से छिपाते
जमाने के आगे मुस्कुराते रहे।
और तेरी यादें हमेशा हमारे दिल मे दफन हो हमेशा हमारे साथ ही रही।

©Ragini Pathak

असल ज्ञान वो नहीं जो सिर्फ वाह वाही के काम आए। असल ज्ञानी का ज्ञान तो सकारात्मक और नकारात्मक दोनो को स्वीकार करता है। और सुधार के लिए हमेशा तैयार रहता है। @रागिनी पाठक ©Ragini Pathak

#ज्ञान #alone  असल ज्ञान वो नहीं जो सिर्फ वाह वाही के काम आए।
असल ज्ञानी का ज्ञान तो सकारात्मक और नकारात्मक दोनो को स्वीकार करता है।
और सुधार के लिए हमेशा तैयार रहता है।
@रागिनी पाठक

©Ragini Pathak
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