म्हारे माटी री कई वात करू सा
वीरता बसे कण कण में
राजा ने संतो री माटी आ
घणी खमाऊ हु इण ने
त्याग तप बलिदान शौर्य भर्यो है
मीरा,पन्ना राणा री भूमि में
भाखर नागर गूंज उठे है
मेवाड़ मारवाड़ री जमी में
धर्म ने संस्कारो री माटी है म्हारी
केसरिया,श्रीनाथ जी बसता जीण में
भैरू रो डमरू भी डमके जीठे
घूमर शगुन मने है इण में
कुल्ला री चाय भी प्यारी
तमणीया रो दही भी ठंडो
एक वार जो चाखे इण ने
गेलो भी हो जावे चंगो
पधारो म्हारे देस में थे तो
नमन एक वार तो करजो
मन हरख थी भरसो थे ने
कण कण री खुशबू भरजो
म्हारो प्यारो राजस्थान.........
©cimaa punmiya
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