Ajay Chaurasiya

Ajay Chaurasiya Lives in Mumbai, Maharashtra, India

engineer शायर

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White मां ने गोद में उठाया, पिता ने कंधो पे, जिंदगी ने डाली फिर, जिम्मेदारी कंधो पर, एक उम्र के बाद, चार लोग उठा कंधो पर, लेटा आए चिता पर, मृत्यु के कंधो पर, कंधो से शुरू, कंधो पर ही खत्म, जिंदगी का बोझ हृदय से अधिक कंधो ने ढोया है.... ©Ajay Chaurasiya

#कविता #कंधे  White मां ने गोद में उठाया, पिता ने कंधो पे,
जिंदगी ने डाली फिर, जिम्मेदारी कंधो पर,
एक उम्र के बाद, चार लोग उठा कंधो पर,
लेटा आए चिता पर, मृत्यु के कंधो पर,
कंधो से शुरू, कंधो पर ही खत्म,
जिंदगी का बोझ हृदय से अधिक कंधो ने ढोया है....

©Ajay Chaurasiya

White परिवर्तन क्या है ? कली का फूल होना ? या फूल की माला ? परिवर्तन बदलाव है प्रकृति का ? या है वो खेल परस्तिथियो का, नियति क्या है ? सफर में रहना , या कही ठहर जाना ? मंजिल की आस लगाए बैठे रहना, या सतत कर्म को प्राथमिकता देना ? पंचतत्व क्या है ? जिनके जुड़ाव से निर्मिती ? या अलगाव से मृत्यु ? मृत्यु क्या है ? अंत है किसी किस्से का ? या प्रारंभ है किसी जीवन का ? सत्य क्या है ? परिवर्तन ? मृत्यु ? कर्म या नियति ? ©Ajay Chaurasiya

#कविता #Satya  White परिवर्तन क्या है ?
कली का फूल होना ? या फूल की माला ?
परिवर्तन बदलाव है प्रकृति का ?
या है वो खेल परस्तिथियो का,
नियति क्या है ?
सफर में रहना , या कही ठहर जाना ?
मंजिल की आस लगाए बैठे रहना,
या सतत कर्म को प्राथमिकता देना ?
पंचतत्व क्या है ?
जिनके जुड़ाव से निर्मिती ?
या अलगाव से मृत्यु ?
मृत्यु क्या है ?
अंत है किसी किस्से का ?
या प्रारंभ है किसी जीवन का ?
सत्य क्या है ?
परिवर्तन ? मृत्यु ? कर्म या नियति ?

©Ajay Chaurasiya

#Satya

12 Love

White जो बह ना सके, सुख गए, नयनों के अश्रु, अधर मौन कर गए, हृदय की पीढ़ा देख, अधर मुस्कुरा दिए, शब्द अधर के, नयन ने बया किए... ©Ajay Chaurasiya

#शायरी #अश्रु  White जो बह ना सके, सुख गए,
नयनों के अश्रु, अधर मौन कर गए,
हृदय की पीढ़ा देख, अधर मुस्कुरा दिए,
शब्द अधर के, नयन ने बया किए...

©Ajay Chaurasiya

मै दफ्तर में हूं, दफ्तर में एक कैंटीन है, कैंटीन में चाय है, मै तन्हा हूं सो चाय ली है, लेकिन न तो वो चाय है, न ही वो गुफ्तगू, चाय अच्छी तब लगती है, जब साथ पीने वाले भी लाजवाब हो, और मुझसे छीन गए है वो लोग, वो पल, जो नहीं लौटेंगे कभी, एक साथ, एक जगह, चाय पर... ©Ajay Chaurasiya

#मराठीकविता #चाय  मै दफ्तर में हूं,
दफ्तर में एक कैंटीन है,
कैंटीन में चाय है,
मै तन्हा हूं सो चाय ली है,
लेकिन न तो वो चाय है, न ही वो गुफ्तगू,
चाय अच्छी तब लगती है,
जब साथ पीने वाले भी लाजवाब हो,
और मुझसे छीन गए है वो लोग, वो पल,
जो नहीं लौटेंगे कभी, एक साथ, 
एक जगह, चाय पर...

©Ajay Chaurasiya

#चाय

14 Love

White अंत मेरे लिए शून्य है, आरंभ एक अगणित संख्या, आरंभ से अंत की और बढ़ते, दे देनी होती है आहुति, मोह, माया, रिश्ते और सब कुछ, क्यूंकि शून्य ही मोक्ष है और, आरंभ जीवन की नई चुनौतियों का प्रारंभ, अंत आरंभ का चक्र थमता नहीं, सदैव गतिशील रहता है समय की तरह, जब आप शून्य को पा लेते है, आप पा लेते है "शांति" एकांत की। ©Ajay Chaurasiya

#मराठीकविता #EKANT  White अंत मेरे लिए शून्य है,
आरंभ एक अगणित संख्या,
आरंभ से अंत की और बढ़ते,
दे देनी होती है आहुति,
मोह, माया, रिश्ते और सब कुछ,
क्यूंकि शून्य ही मोक्ष है और,
आरंभ जीवन की नई चुनौतियों का प्रारंभ,
अंत आरंभ का चक्र थमता नहीं,
सदैव गतिशील रहता है समय की तरह,
जब आप शून्य को पा लेते है,
आप पा लेते है "शांति" एकांत की।

©Ajay Chaurasiya

#EKANT ki shanti

10 Love

White मै जीत गया या हार गया ? दिल और दिमाग की लड़ाई में, एक दफा फिर दिमाग जीत गया, मन हार गया, मै हार गया... ©Ajay Chaurasiya

#मराठीशायरी #loose  White मै जीत गया या हार गया ?
दिल और दिमाग की लड़ाई में,
एक दफा फिर दिमाग जीत गया, 
मन हार गया, मै हार गया...

©Ajay Chaurasiya

#loose

12 Love

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