writer , positive thinker ..
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ग़ज़ल , एक अनकही कहानी ।। ठहर गए है हम ऐसे मकाम पर , कोई रास्ता न कोई दिखाता है अब । जो कहते थे हमदर्द बन कर बांट लेंगे हर दर्द , हर बार नया जख्म दे जाता है अब ।। यूँ तो वक़्त गुज़रता रहता है जनाब ,
4 Love
कुछ पल कुछ पल की ही बात थी , कुछ पल का ही तो साथ था , कुछ पल थे बाहों में तुम , कुछ पल ही हाथों में तेरा हाथ था ।। कुछ पल के ये मौसम भी बहुत सुहाने लगते थे , कुछ पल के वो लम्हे भी हमे सयाने लगते थे ।।
2 Love
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