Megha Chandel

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भारत का एक राज्य उत्तराखंड उसमें एक जिला चमोली चमोली का एक स्थान 'जोशीमठ' जिसमें भरी है उलझने कई प्रकृति का जहां मोल लगाकर खेली गई आंख मिचौली नाम दिया इसे सुविधाओं का और पहना दी गई हथकड़ी देखो सबके होश उड़ रहे चलते फिरते लोग डर रहे क्या खोया क्या पाया किसने बस हारे हारे फिर लड़ रहे धस्ती धरती धसते आंसू भाव कर्म चिंतन पर पड़ गए बारूदों के ढेर पे मानों इंसानों के घर जल रहे खूब बहाया जहां पसीना उस माटी के सब घाव बदल गए धरती अपनी लोग भी अपने फिर क्यों अपने घरबार बदल गए अमन चैन की राहों पे अब चलते चलते क़दम मिट रहे 'मैं जोशीमठ हूं' कहते कहते प्रयासों के शोर बिखर गए ©Megha Chandel

#savejoshimath #Uttarakhand #garhwal  भारत का एक राज्य उत्तराखंड उसमें एक जिला चमोली
चमोली का एक स्थान 'जोशीमठ' जिसमें भरी है उलझने कई
प्रकृति का जहां मोल लगाकर खेली गई आंख मिचौली
नाम दिया इसे सुविधाओं का और पहना दी गई हथकड़ी
देखो सबके होश उड़ रहे चलते फिरते लोग डर रहे
क्या खोया क्या पाया किसने बस हारे हारे फिर लड़ रहे
धस्ती धरती धसते आंसू भाव कर्म चिंतन पर पड़ गए
बारूदों के ढेर पे मानों इंसानों के घर जल रहे
खूब बहाया जहां पसीना उस माटी के सब घाव बदल गए
धरती अपनी लोग भी अपने फिर क्यों अपने घरबार बदल गए
अमन चैन की राहों पे अब चलते चलते  क़दम मिट रहे
'मैं जोशीमठ हूं'  कहते कहते प्रयासों के शोर बिखर गए

©Megha Chandel

लगता है कभी-कभी छूट रहा है वक्त हाथों से थोड़ा-थोड़ा सूरज सा ढलता जाता है यादों का रैन बसेरा पापा के कंधों पर चढ़कर जहां आंगन में यूं खेला वहीं मां के हर फटकार को यूं हंसते हंसते झेला छोटी सी लगती थी जिंदगी बस खुशियों का था मेला हार जीत के झगड़ों का वह शोर था खूब सुनहरा न जाने कब बड़े हो गए न कोई गुजरा लम्हां ठहरा क्यों बचपन का ताना-बाना हमने बचपन में ही छोड़ा ©Megha Chandel

#standout #Quotes  लगता है कभी-कभी
छूट रहा है वक्त हाथों से थोड़ा-थोड़ा
सूरज सा ढलता जाता है यादों का रैन बसेरा

पापा के कंधों पर चढ़कर
जहां आंगन में यूं खेला
वहीं मां के हर फटकार को यूं हंसते हंसते झेला

छोटी सी लगती थी जिंदगी
बस खुशियों का था मेला
हार जीत के झगड़ों का वह शोर था खूब सुनहरा

न जाने कब बड़े हो गए
न कोई गुजरा लम्हां ठहरा
क्यों बचपन का ताना-बाना हमने बचपन में ही छोड़ा

©Megha Chandel

#standout

8 Love

सुना है नेता का बेटा है क्या बचकर फिर निकल जायेगा? क्या वो पिता अपनी बेटी से कभी मिल पाएगा मज़हबी जंजीरों का यहां आंदोलन छिड़ जायेगा लेकिन,,, अंतरात्मा की चीख भला कौन सुन पाएगा कोई देगा साथ उसका तो कसूरवार कोई ठहराएगा पीड़ा दर्द और बिलखती सिसकियों का इंसाफ कौन दिलाएगा स्याही से बेबसी की अखबारों का फिर पन्ना छप जाएगा हैवानों की नजरों से यहां बेटी कौन बचाएगा ©Megha Chandel

#Suicide  सुना है नेता का बेटा है क्या बचकर फिर निकल जायेगा?
क्या वो पिता अपनी बेटी से कभी मिल पाएगा
मज़हबी जंजीरों का यहां आंदोलन छिड़ जायेगा
लेकिन,,, अंतरात्मा की चीख भला कौन सुन पाएगा
कोई देगा साथ उसका तो कसूरवार कोई ठहराएगा
पीड़ा दर्द और बिलखती सिसकियों का इंसाफ कौन दिलाएगा
स्याही से बेबसी की अखबारों का फिर पन्ना छप जाएगा
हैवानों की नजरों से यहां बेटी कौन बचाएगा

©Megha Chandel

#Suicide

7 Love

फुर्सत कहां है अब कोई हाथों से हाथ मिलाने की बात नहीं है ऐसी अब किसी पे हद से गुज़र जाने की ©Megha Chandel

#rain  फुर्सत कहां है अब कोई हाथों से हाथ मिलाने की
बात नहीं है ऐसी अब किसी पे हद से गुज़र जाने की

©Megha Chandel

#rain

9 Love

मां तू वो मन्नत है झुके जिसके आगे सारा जन्नत है मां मेरी अजमत भी तू मेरी रहमत भी तू देखकर मिले इन आंखों को वो सारा सुकून भी तू हो गर दर्द मुझे तो रोए भी तू फेर दे जो हाथ सिर पे तो कर देती मुश्किलें हल भी तू Happy mother's day❤️ ©Megha Chandel

 मां तू वो मन्नत है झुके जिसके आगे सारा जन्नत है
मां मेरी अजमत भी तू मेरी रहमत भी तू
देखकर मिले इन आंखों को वो सारा सुकून भी तू
हो गर दर्द मुझे तो रोए भी तू
फेर दे जो हाथ सिर पे तो कर देती मुश्किलें हल भी तू

Happy mother's day❤️

©Megha Chandel

Mother's day special❤️

7 Love

चश्में में छिपा लेती हूं जज़्बात अपने वरना खाली आंखें अक्सर खुद से ही सवाल करती है ©Megha Chandel

 चश्में में छिपा लेती हूं जज़्बात अपने
वरना खाली आंखें अक्सर खुद से ही सवाल करती है

©Megha Chandel

चश्में में छिपा लेती हूं जज़्बात अपने वरना खाली आंखें अक्सर खुद से ही सवाल करती है ©Megha Chandel

11 Love

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