सुना है नेता का बेटा है क्या बचकर फिर निकल जायेगा?
क्या वो पिता अपनी बेटी से कभी मिल पाएगा
मज़हबी जंजीरों का यहां आंदोलन छिड़ जायेगा
लेकिन,,, अंतरात्मा की चीख भला कौन सुन पाएगा
कोई देगा साथ उसका तो कसूरवार कोई ठहराएगा
पीड़ा दर्द और बिलखती सिसकियों का इंसाफ कौन दिलाएगा
स्याही से बेबसी की अखबारों का फिर पन्ना छप जाएगा
हैवानों की नजरों से यहां बेटी कौन बचाएगा
©Megha Chandel
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