White प्रेम था, समर्पण था, एक छोटा सा भ्रम था, जो आज मर गया।
हृदय को बड़ी, कुशलता से जो सम्हाला था,आज कोई उसे निर्जीव सा कर गया।
तिल तिल कर मारता रहा, असत्य के शब्भेदी बाण मुझे।
वेदना मे रचे बसे मन को, तितर बितर कर गया।
मैं शायद कड़ुआ बोला, पर कर्म तो तेरे थे।
साथ मे जीवन यापन करने के, ध्वस्त स्वप्न मेरे थे।
एक एक कोशिका से करे जतन भमेरे थे।
सब कुछ, एक क्षण भर में भस्म कर गया।
रक्त सूख सा गया है, चित्त बस आशा खोजता है।
खोया हुआ विश्वास मानस पे, साहस खोजता है।
वाह री विडंबना, प्रिय जो भ्रामक खोजता है।
जड़ ही काट डाली, पर वृक्ष खोजता है।
हरे भरे वन में, चिंगारी से भयंकर अनल दे गया
प्रेम ..............।
©mautila registan(Naveen Pandey)
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here