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New दीपक और पतंगा Status, Photo, Video

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सुनो,मिलकर तुम्हें एक बात बतलाना है। पहले हाथ मिलाना है,फिर गले लगाना है। फिर धीरे धीरे आंखो को बंद करके सांसों के जरिए होकर,रूह में समाना है। ©kalamwali6511

#Couple #लव  सुनो,मिलकर तुम्हें एक बात बतलाना है।
पहले हाथ मिलाना है,फिर गले लगाना है।
फिर धीरे धीरे आंखो को बंद करके
सांसों के जरिए होकर,रूह में समाना है।

©kalamwali6511

#Couple @Rakesh Srivastava @Preeti Kumari Dr. uvsays @Radhey Ray कवि आलोक मिश्र "दीपक"

16 Love

#RadheGovinda

#RadheGovinda @Sethi Ji Anil Ray @Anudeep कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Satyajeet Roy

261 View

#pujaudeshi

#pujaudeshi @Vaibhav Harsh Saxena शाकिर Shakir mahesh @KRISHNA कवि आलोक मिश्र "दीपक"

1,161 View

कितना अज़ीव फलसफा है जिन्दगी का कोई जीकर भी जी नही पाया और कोई मरकर भी मरा नही । ©Hema Shakya

#hema_thedreamfairy #hemashakyastories #hemashakyaquotes #hemashakya #Zindagi  कितना अज़ीव फलसफा है जिन्दगी का
कोई जीकर भी जी नही पाया 
और कोई मरकर भी मरा नही ।

©Hema Shakya
#love_qoutes #Quotes  White हम तेरे पीछे नहीं पड़े थे।
हम तेरे सामने खड़े थे।
 अपने अतीत को पीछे छोड़,
मेरा हाथ थाम भविष्य में आ सकते थे।

©kalamwali6511

#love_qoutes @Rakesh Srivastava @Preeti Kumari Jyoti Sah @Ankit 09 BANK कवि आलोक मिश्र "दीपक"

135 View

अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का, समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, बस यही तरक़ीब है दुनिया भुलाने का, मिला खेवनहार दरिया पार कर लूँगा, ज़िस्म में ताकत नहीं गोता लगाने का, पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का, जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, बांसुरी की तान पर झूला झुलाने का, ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, हृदय है प्यासा उसे पानी पिलाने का, बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन', मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दीपक  अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का,
समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, 

मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, 
बस यही तरक़ीब है  दुनिया  भुलाने का,

मिला खेवनहार  दरिया पार  कर  लूँगा, 
ज़िस्म में ताकत नहीं  गोता  लगाने का,

पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, 
जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का,

जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, 
बांसुरी की  तान पर  झूला  झुलाने का,

ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, 
हृदय  है  प्यासा  उसे  पानी  पिलाने  का,

बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन',
मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का,
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#दीपक जलाने का#

16 Love

सुनो,मिलकर तुम्हें एक बात बतलाना है। पहले हाथ मिलाना है,फिर गले लगाना है। फिर धीरे धीरे आंखो को बंद करके सांसों के जरिए होकर,रूह में समाना है। ©kalamwali6511

#Couple #लव  सुनो,मिलकर तुम्हें एक बात बतलाना है।
पहले हाथ मिलाना है,फिर गले लगाना है।
फिर धीरे धीरे आंखो को बंद करके
सांसों के जरिए होकर,रूह में समाना है।

©kalamwali6511

#Couple @Rakesh Srivastava @Preeti Kumari Dr. uvsays @Radhey Ray कवि आलोक मिश्र "दीपक"

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#RadheGovinda

#RadheGovinda @Sethi Ji Anil Ray @Anudeep कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Satyajeet Roy

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#pujaudeshi

#pujaudeshi @Vaibhav Harsh Saxena शाकिर Shakir mahesh @KRISHNA कवि आलोक मिश्र "दीपक"

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कितना अज़ीव फलसफा है जिन्दगी का कोई जीकर भी जी नही पाया और कोई मरकर भी मरा नही । ©Hema Shakya

#hema_thedreamfairy #hemashakyastories #hemashakyaquotes #hemashakya #Zindagi  कितना अज़ीव फलसफा है जिन्दगी का
कोई जीकर भी जी नही पाया 
और कोई मरकर भी मरा नही ।

©Hema Shakya
#love_qoutes #Quotes  White हम तेरे पीछे नहीं पड़े थे।
हम तेरे सामने खड़े थे।
 अपने अतीत को पीछे छोड़,
मेरा हाथ थाम भविष्य में आ सकते थे।

©kalamwali6511

#love_qoutes @Rakesh Srivastava @Preeti Kumari Jyoti Sah @Ankit 09 BANK कवि आलोक मिश्र "दीपक"

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अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का, समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, बस यही तरक़ीब है दुनिया भुलाने का, मिला खेवनहार दरिया पार कर लूँगा, ज़िस्म में ताकत नहीं गोता लगाने का, पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का, जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, बांसुरी की तान पर झूला झुलाने का, ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, हृदय है प्यासा उसे पानी पिलाने का, बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन', मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दीपक  अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का,
समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, 

मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, 
बस यही तरक़ीब है  दुनिया  भुलाने का,

मिला खेवनहार  दरिया पार  कर  लूँगा, 
ज़िस्म में ताकत नहीं  गोता  लगाने का,

पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, 
जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का,

जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, 
बांसुरी की  तान पर  झूला  झुलाने का,

ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, 
हृदय  है  प्यासा  उसे  पानी  पिलाने  का,

बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन',
मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का,
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#दीपक जलाने का#

16 Love

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