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New bemausam barishon me Status, Photo, Video

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#कॉमेडी #me

#me

99 View

#Quotes #me  खूप शोधलं तुला, 
मंदिरात ही सापडला नाहीस,
शाळेत ही सापडला नाहीस,
आणि माणसात ही..

©लेखणी _देखणी (विपुल तांबे)

#me

99 View

स्वप्नांत माझ्या रोज हल्ली, एक विकृत सावली भासते, माझाच गळा चिरताना, माझ्यावरच कशी हासते... एका आईला रडता रडता, हे बोलताना ऐकलं मी, "माझ्या पोटी मुलगी जन्माला आली, याची मला भिती वाटते..." स्वप्नील हुद्दार . ©Swapnil Huddar

#me  स्वप्नांत माझ्या रोज हल्ली, एक विकृत सावली भासते,
माझाच गळा चिरताना, माझ्यावरच कशी हासते...

एका आईला रडता रडता, हे बोलताना ऐकलं मी,
"माझ्या पोटी मुलगी जन्माला आली, याची मला भिती वाटते..."

स्वप्नील हुद्दार














.

©Swapnil Huddar

#me

9 Love

मुझे लगता था। मैं सीता हूं। मैं राधा हूं। मैं गीता हूं। हैवानों की झूठी नगरी में, मैं हवस की एक कविता हूं। लंका सा संसार यहां , रावण से अधिक अत्याचार यहां। मैं नहीं सुरक्षित इस युग में, जननी का अपमान जहां। जिस्म के हर हिस्से में दर्द है मां , तभी मार देते जब मैं कोख में था। आपको पता था ना , ये दुनिया नर्क है मां............ ©एक शायर

#me  मुझे लगता था। मैं सीता हूं। मैं राधा हूं। मैं गीता हूं। 
हैवानों की झूठी नगरी में, मैं हवस की एक कविता हूं। 
लंका सा संसार यहां , रावण से अधिक अत्याचार यहां। 
मैं नहीं सुरक्षित इस युग में, जननी का अपमान जहां। 
जिस्म के हर हिस्से में दर्द है मां , 
तभी मार देते जब मैं कोख में था। 
 आपको पता था ना , ये दुनिया नर्क है मां............

©एक शायर

#me

18 Love

#Videos

me

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me

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#कॉमेडी #me

#me

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#Quotes #me  खूप शोधलं तुला, 
मंदिरात ही सापडला नाहीस,
शाळेत ही सापडला नाहीस,
आणि माणसात ही..

©लेखणी _देखणी (विपुल तांबे)

#me

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स्वप्नांत माझ्या रोज हल्ली, एक विकृत सावली भासते, माझाच गळा चिरताना, माझ्यावरच कशी हासते... एका आईला रडता रडता, हे बोलताना ऐकलं मी, "माझ्या पोटी मुलगी जन्माला आली, याची मला भिती वाटते..." स्वप्नील हुद्दार . ©Swapnil Huddar

#me  स्वप्नांत माझ्या रोज हल्ली, एक विकृत सावली भासते,
माझाच गळा चिरताना, माझ्यावरच कशी हासते...

एका आईला रडता रडता, हे बोलताना ऐकलं मी,
"माझ्या पोटी मुलगी जन्माला आली, याची मला भिती वाटते..."

स्वप्नील हुद्दार














.

©Swapnil Huddar

#me

9 Love

मुझे लगता था। मैं सीता हूं। मैं राधा हूं। मैं गीता हूं। हैवानों की झूठी नगरी में, मैं हवस की एक कविता हूं। लंका सा संसार यहां , रावण से अधिक अत्याचार यहां। मैं नहीं सुरक्षित इस युग में, जननी का अपमान जहां। जिस्म के हर हिस्से में दर्द है मां , तभी मार देते जब मैं कोख में था। आपको पता था ना , ये दुनिया नर्क है मां............ ©एक शायर

#me  मुझे लगता था। मैं सीता हूं। मैं राधा हूं। मैं गीता हूं। 
हैवानों की झूठी नगरी में, मैं हवस की एक कविता हूं। 
लंका सा संसार यहां , रावण से अधिक अत्याचार यहां। 
मैं नहीं सुरक्षित इस युग में, जननी का अपमान जहां। 
जिस्म के हर हिस्से में दर्द है मां , 
तभी मार देते जब मैं कोख में था। 
 आपको पता था ना , ये दुनिया नर्क है मां............

©एक शायर

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