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White युग बदलते रहे, बदलती रही तस्वीरें, ख्वाब बदल गए, और बदल गई तदबीरें, हर युग में ली जाती रही ,औरत की परीक्षाएं, हर युग में कुचल दी गई, औरत की आशाएं, उतरना होगा उसे समर में, निज अस्तित्व बचाने को, बचाना होगा दामन स्वयं, कृष्ण न आएगा बचाने को, कब तलक सहेगी वो ,इस व्यभिचार की दुनिया को, कब तक नहीं जन्मेगी वो, प्रतिकार की दुनिया को, उस दिन ये धरती भी , चित्कार कर उठेगी, ज़माने के समर में, ज़ब उसकी तलवार उठेगी, उठाएगी वो शमशीर, मिटाने धरा से अनाचार, बदल जायेगी उसकी दुनिया, ज़ब करेगी प्रतिकार, कब तक जलती रहेगी , परीक्षाओ की अग्नि में, समर भूमि भी हिल जाएगी, उसकी हुंकार की ध्वनि में।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#नोजोटोहिंदी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #समर  White 

युग  बदलते  रहे,  बदलती  रही  तस्वीरें,
ख्वाब बदल गए, और बदल गई तदबीरें,

हर युग में ली जाती रही ,औरत की परीक्षाएं,
हर युग में कुचल दी गई, औरत की आशाएं,

उतरना होगा उसे समर में, निज अस्तित्व बचाने को,
बचाना होगा दामन स्वयं, कृष्ण न आएगा बचाने को,

कब तलक सहेगी वो ,इस व्यभिचार की दुनिया को,
कब तक नहीं जन्मेगी वो, प्रतिकार की दुनिया को,

उस दिन   ये धरती भी , चित्कार   कर उठेगी,
ज़माने के समर में, ज़ब उसकी तलवार उठेगी,

उठाएगी वो शमशीर,  मिटाने धरा से अनाचार,
बदल जायेगी उसकी दुनिया, ज़ब करेगी प्रतिकार,

कब तक जलती रहेगी , परीक्षाओ की अग्नि में,
समर भूमि भी हिल जाएगी, उसकी हुंकार की ध्वनि में।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White ज़मीर अगर जीना है इंसान बनकर, जो सोये ज़मीर को जगाना होगा, कोई छू ना पाये आँचल को, अपनी शक्ति को आज़माना होगा, हर दिन टूटती है उम्मीद, हर दिन जिंदगी से लड़ना पड़ता है, कब तलक जियेंगें ज़िंदा लाश बनकर, अब भय को दूर भगाना होगा, रोज बिक रही है बाज़ारों में, जो नारी है महज़ खिलौना नहीं है, बहुत जी लिए मृततुल्य ज़मीर लिए, बस अब ना कोई बहाना होगा, अब नहीं बनना है सुर्खियाँ अखबारों की, अब रणभूमि में उतरना है, ये लड़ाई है अस्तित्व की, अब निज अस्तित्व बचाना होगा, करिश्मा, जानकी, मौमिता, वैष्णवी, निर्भया हो या फरज़ाना, जगा कर ज़मीर अपना, अब जीत का बिगुल बजाना होगा, अब नहीं पड़ना है कमजोऱ हमें, दोगला समाज भी ये जान ले, अब शक्ति स्वरूपा रणचंडी हैं, इस समाज को भी दिखाना होगा।। -पूनम आत्रेय ( स्वरचित ) ©poonam atrey

#नोजोटोहिंदी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #ज़मीर  White ज़मीर 

अगर जीना है इंसान बनकर, जो सोये ज़मीर को जगाना होगा,
कोई छू ना पाये आँचल को, अपनी शक्ति को आज़माना होगा,

हर    दिन     टूटती है उम्मीद, हर दिन जिंदगी से लड़ना पड़ता है,
कब तलक जियेंगें ज़िंदा लाश बनकर, अब भय को दूर भगाना होगा,

रोज   बिक   रही   है बाज़ारों में, जो नारी है महज़ खिलौना नहीं है,
बहुत जी लिए मृततुल्य ज़मीर लिए, बस अब ना कोई बहाना होगा,

अब नहीं बनना है सुर्खियाँ अखबारों की, अब रणभूमि में उतरना है,
ये   लड़ाई    है   अस्तित्व की,   अब निज अस्तित्व बचाना होगा,

करिश्मा, जानकी, मौमिता, वैष्णवी, निर्भया     हो    या फरज़ाना,
जगा कर    ज़मीर  अपना,    अब जीत का बिगुल बजाना होगा,

अब नहीं पड़ना है   कमजोऱ हमें,   दोगला  समाज भी ये जान ले,
अब शक्ति स्वरूपा रणचंडी हैं, इस समाज को भी दिखाना होगा।।

-पूनम आत्रेय 
( स्वरचित )

©poonam atrey

#ज़मीर #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिंदी @Sunita Pathania अदनासा- प्रशांत की डायरी @Sethi Ji मनस्विनी

25 Love

White देखो माँ! मैं तुम सी हो गई हूँ, रहती थी जो हर वक़्त अल्हड़ सी, अब तुम्हारी तरह गंभीर हो गई हूँ, देखो माँ, मै तुम सी हो गई हूँ, छोड़ दिया है बच्चो की तरह ज़िद करना, रात भर जागकर, सुबह देर से उठना, जूझ कर ज़िम्मेरदारियो से, मजबूत हो गई हूँ देखो माँ, अब मैं भी तुम सी हो गई हूँ, बेटी से माँ का रूप बदलकर आई हूँ, देखकर लगता है मैं तुम्हारी ही परछाई हूँ, मुस्कुरा कर आँखों से दिल को भिगो गई हूँ, देखो माँ, मैं भी अब तुमसी हो गई हूँ, देखकर के ज़िम्मेदारी, अब मै भागती नहीं हूँ, देखकर कॉकरोच को, अब मैं काँपती नहीं हूँ, नींद भूल अपनी, जागती आँखों से सो गई हूँ, देखो ना माँ, मैं भी अब तुमसी हो गई हूँ।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#मैंतेरीपरछाईहूँ #नोजोतोहिन्दी #पूनमकीकलमसे #कविता  White  देखो माँ! मैं तुम सी हो गई हूँ,
रहती थी जो हर वक़्त अल्हड़ सी,
अब तुम्हारी तरह गंभीर हो गई हूँ,
देखो माँ, मै तुम सी हो गई हूँ,

छोड़ दिया है बच्चो की तरह ज़िद करना,
रात भर जागकर, सुबह देर से उठना,
जूझ कर ज़िम्मेरदारियो से, मजबूत हो गई हूँ 
देखो माँ, अब मैं भी तुम सी हो गई हूँ,

बेटी से माँ का रूप बदलकर आई हूँ,
देखकर लगता है मैं तुम्हारी ही परछाई हूँ,
मुस्कुरा कर आँखों से दिल को भिगो गई हूँ,
देखो माँ, मैं भी  अब तुमसी हो गई हूँ,

देखकर के ज़िम्मेदारी, अब मै भागती नहीं हूँ,
देखकर कॉकरोच को, अब मैं काँपती नहीं हूँ,
नींद भूल अपनी, जागती आँखों से सो गई हूँ,
देखो ना माँ, मैं भी अब तुमसी हो गई हूँ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White जिंदगी में जो मिला, मुआफ़िक नहीं मिला, किया फूलो से ना, शिकवा, ना काँटों से गिला, हँसकर निभाते रहे, हर एक फ़र्ज़ हम अपना, दिया क्या खूब इस वक़्त ने, मेरे सब्र का सिला, ©poonam atrey

#नोजोटोहिन्दी #पूनमकीकलमसे #मुआफ़िक #कविता  White  जिंदगी में  जो  मिला, मुआफ़िक   नहीं मिला,
किया फूलो से ना, शिकवा, ना काँटों से गिला,

हँसकर निभाते रहे,  हर एक फ़र्ज़ हम अपना,
दिया क्या खूब इस वक़्त ने, मेरे सब्र का सिला,

©poonam atrey
#रिश्तोंकीबुनियाद #पूनमकीकलमसे #कविता  White  लगता हैं जैसे रिश्तों की परिभाषा ही बदल गई,
ख़ून के रिश्तों पे जबसे,दौलत की छुरी चल गई,

रिश्तों   में  हार  जीत नहीं, अपनापन जरूरी है,
मग़र वर्तमान समय में, रिश्ते निभाना मजबूरी हैं,

रिश्तों से प्रेम और अपनत्व   की भावना खो गई,
ये कैसी  आधुनिकता  हैं, जो  रिश्तों को खा गई,

जाने किस गर्त में जा रहे हैं,इस दुनिया के इंसान,
जहां माँ बाप भी  लगते हैं, एक  भार  के समान,

अब  रिश्तो  को हरा  कर, हम सुकून   पा रहे हैं,
अब ख़ून से नहीं,  रिश्ता  दौलत  से निभा रहे हैं,

हार  गए हैं रिश्ते प्रेम  और समर्पण के अभाव में,
रक्त  संबंध  खो गए हैं अब,  दौलत के प्रभाव में।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
#नोजोटोहिंदी #पूनमकीक़लमसे #कोई_बात_नहीं #मोटिवेशनल #आखिर_कब_तक #दर्द_ए_कलम  White  कोई बात नहीं, कह कर टाल दिया जाता है,
सारा मसला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है,

ज़ब   तक  हम  स्वयं ये स्वीकार करते रहेंगे,
इन नन्ही नन्ही परियो के, जिस्म जलते रहेंगें,

तभी तक ज़ब तक बात स्वयं पर नहीं आती, 
नहीं खौलता  खून हमारा, नहीं फटती छाती,

सरे बाजार शोहदो ने, लड़की का दुपट्टा खींचा,
उसकी सिसकी सुनकर भी,किसी का दिल नहीं पसीजा,

कब तक लगेगी जख्मों पर, कोई बात नहीं की दवाई,
जिस दिन हट गई औरत की, उस दी मचा देगी तबाही।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White युग बदलते रहे, बदलती रही तस्वीरें, ख्वाब बदल गए, और बदल गई तदबीरें, हर युग में ली जाती रही ,औरत की परीक्षाएं, हर युग में कुचल दी गई, औरत की आशाएं, उतरना होगा उसे समर में, निज अस्तित्व बचाने को, बचाना होगा दामन स्वयं, कृष्ण न आएगा बचाने को, कब तलक सहेगी वो ,इस व्यभिचार की दुनिया को, कब तक नहीं जन्मेगी वो, प्रतिकार की दुनिया को, उस दिन ये धरती भी , चित्कार कर उठेगी, ज़माने के समर में, ज़ब उसकी तलवार उठेगी, उठाएगी वो शमशीर, मिटाने धरा से अनाचार, बदल जायेगी उसकी दुनिया, ज़ब करेगी प्रतिकार, कब तक जलती रहेगी , परीक्षाओ की अग्नि में, समर भूमि भी हिल जाएगी, उसकी हुंकार की ध्वनि में।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#नोजोटोहिंदी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #समर  White 

युग  बदलते  रहे,  बदलती  रही  तस्वीरें,
ख्वाब बदल गए, और बदल गई तदबीरें,

हर युग में ली जाती रही ,औरत की परीक्षाएं,
हर युग में कुचल दी गई, औरत की आशाएं,

उतरना होगा उसे समर में, निज अस्तित्व बचाने को,
बचाना होगा दामन स्वयं, कृष्ण न आएगा बचाने को,

कब तलक सहेगी वो ,इस व्यभिचार की दुनिया को,
कब तक नहीं जन्मेगी वो, प्रतिकार की दुनिया को,

उस दिन   ये धरती भी , चित्कार   कर उठेगी,
ज़माने के समर में, ज़ब उसकी तलवार उठेगी,

उठाएगी वो शमशीर,  मिटाने धरा से अनाचार,
बदल जायेगी उसकी दुनिया, ज़ब करेगी प्रतिकार,

कब तक जलती रहेगी , परीक्षाओ की अग्नि में,
समर भूमि भी हिल जाएगी, उसकी हुंकार की ध्वनि में।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White ज़मीर अगर जीना है इंसान बनकर, जो सोये ज़मीर को जगाना होगा, कोई छू ना पाये आँचल को, अपनी शक्ति को आज़माना होगा, हर दिन टूटती है उम्मीद, हर दिन जिंदगी से लड़ना पड़ता है, कब तलक जियेंगें ज़िंदा लाश बनकर, अब भय को दूर भगाना होगा, रोज बिक रही है बाज़ारों में, जो नारी है महज़ खिलौना नहीं है, बहुत जी लिए मृततुल्य ज़मीर लिए, बस अब ना कोई बहाना होगा, अब नहीं बनना है सुर्खियाँ अखबारों की, अब रणभूमि में उतरना है, ये लड़ाई है अस्तित्व की, अब निज अस्तित्व बचाना होगा, करिश्मा, जानकी, मौमिता, वैष्णवी, निर्भया हो या फरज़ाना, जगा कर ज़मीर अपना, अब जीत का बिगुल बजाना होगा, अब नहीं पड़ना है कमजोऱ हमें, दोगला समाज भी ये जान ले, अब शक्ति स्वरूपा रणचंडी हैं, इस समाज को भी दिखाना होगा।। -पूनम आत्रेय ( स्वरचित ) ©poonam atrey

#नोजोटोहिंदी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #ज़मीर  White ज़मीर 

अगर जीना है इंसान बनकर, जो सोये ज़मीर को जगाना होगा,
कोई छू ना पाये आँचल को, अपनी शक्ति को आज़माना होगा,

हर    दिन     टूटती है उम्मीद, हर दिन जिंदगी से लड़ना पड़ता है,
कब तलक जियेंगें ज़िंदा लाश बनकर, अब भय को दूर भगाना होगा,

रोज   बिक   रही   है बाज़ारों में, जो नारी है महज़ खिलौना नहीं है,
बहुत जी लिए मृततुल्य ज़मीर लिए, बस अब ना कोई बहाना होगा,

अब नहीं बनना है सुर्खियाँ अखबारों की, अब रणभूमि में उतरना है,
ये   लड़ाई    है   अस्तित्व की,   अब निज अस्तित्व बचाना होगा,

करिश्मा, जानकी, मौमिता, वैष्णवी, निर्भया     हो    या फरज़ाना,
जगा कर    ज़मीर  अपना,    अब जीत का बिगुल बजाना होगा,

अब नहीं पड़ना है   कमजोऱ हमें,   दोगला  समाज भी ये जान ले,
अब शक्ति स्वरूपा रणचंडी हैं, इस समाज को भी दिखाना होगा।।

-पूनम आत्रेय 
( स्वरचित )

©poonam atrey

#ज़मीर #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिंदी @Sunita Pathania अदनासा- प्रशांत की डायरी @Sethi Ji मनस्विनी

25 Love

White देखो माँ! मैं तुम सी हो गई हूँ, रहती थी जो हर वक़्त अल्हड़ सी, अब तुम्हारी तरह गंभीर हो गई हूँ, देखो माँ, मै तुम सी हो गई हूँ, छोड़ दिया है बच्चो की तरह ज़िद करना, रात भर जागकर, सुबह देर से उठना, जूझ कर ज़िम्मेरदारियो से, मजबूत हो गई हूँ देखो माँ, अब मैं भी तुम सी हो गई हूँ, बेटी से माँ का रूप बदलकर आई हूँ, देखकर लगता है मैं तुम्हारी ही परछाई हूँ, मुस्कुरा कर आँखों से दिल को भिगो गई हूँ, देखो माँ, मैं भी अब तुमसी हो गई हूँ, देखकर के ज़िम्मेदारी, अब मै भागती नहीं हूँ, देखकर कॉकरोच को, अब मैं काँपती नहीं हूँ, नींद भूल अपनी, जागती आँखों से सो गई हूँ, देखो ना माँ, मैं भी अब तुमसी हो गई हूँ।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#मैंतेरीपरछाईहूँ #नोजोतोहिन्दी #पूनमकीकलमसे #कविता  White  देखो माँ! मैं तुम सी हो गई हूँ,
रहती थी जो हर वक़्त अल्हड़ सी,
अब तुम्हारी तरह गंभीर हो गई हूँ,
देखो माँ, मै तुम सी हो गई हूँ,

छोड़ दिया है बच्चो की तरह ज़िद करना,
रात भर जागकर, सुबह देर से उठना,
जूझ कर ज़िम्मेरदारियो से, मजबूत हो गई हूँ 
देखो माँ, अब मैं भी तुम सी हो गई हूँ,

बेटी से माँ का रूप बदलकर आई हूँ,
देखकर लगता है मैं तुम्हारी ही परछाई हूँ,
मुस्कुरा कर आँखों से दिल को भिगो गई हूँ,
देखो माँ, मैं भी  अब तुमसी हो गई हूँ,

देखकर के ज़िम्मेदारी, अब मै भागती नहीं हूँ,
देखकर कॉकरोच को, अब मैं काँपती नहीं हूँ,
नींद भूल अपनी, जागती आँखों से सो गई हूँ,
देखो ना माँ, मैं भी अब तुमसी हो गई हूँ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White जिंदगी में जो मिला, मुआफ़िक नहीं मिला, किया फूलो से ना, शिकवा, ना काँटों से गिला, हँसकर निभाते रहे, हर एक फ़र्ज़ हम अपना, दिया क्या खूब इस वक़्त ने, मेरे सब्र का सिला, ©poonam atrey

#नोजोटोहिन्दी #पूनमकीकलमसे #मुआफ़िक #कविता  White  जिंदगी में  जो  मिला, मुआफ़िक   नहीं मिला,
किया फूलो से ना, शिकवा, ना काँटों से गिला,

हँसकर निभाते रहे,  हर एक फ़र्ज़ हम अपना,
दिया क्या खूब इस वक़्त ने, मेरे सब्र का सिला,

©poonam atrey
#रिश्तोंकीबुनियाद #पूनमकीकलमसे #कविता  White  लगता हैं जैसे रिश्तों की परिभाषा ही बदल गई,
ख़ून के रिश्तों पे जबसे,दौलत की छुरी चल गई,

रिश्तों   में  हार  जीत नहीं, अपनापन जरूरी है,
मग़र वर्तमान समय में, रिश्ते निभाना मजबूरी हैं,

रिश्तों से प्रेम और अपनत्व   की भावना खो गई,
ये कैसी  आधुनिकता  हैं, जो  रिश्तों को खा गई,

जाने किस गर्त में जा रहे हैं,इस दुनिया के इंसान,
जहां माँ बाप भी  लगते हैं, एक  भार  के समान,

अब  रिश्तो  को हरा  कर, हम सुकून   पा रहे हैं,
अब ख़ून से नहीं,  रिश्ता  दौलत  से निभा रहे हैं,

हार  गए हैं रिश्ते प्रेम  और समर्पण के अभाव में,
रक्त  संबंध  खो गए हैं अब,  दौलत के प्रभाव में।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
#नोजोटोहिंदी #पूनमकीक़लमसे #कोई_बात_नहीं #मोटिवेशनल #आखिर_कब_तक #दर्द_ए_कलम  White  कोई बात नहीं, कह कर टाल दिया जाता है,
सारा मसला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है,

ज़ब   तक  हम  स्वयं ये स्वीकार करते रहेंगे,
इन नन्ही नन्ही परियो के, जिस्म जलते रहेंगें,

तभी तक ज़ब तक बात स्वयं पर नहीं आती, 
नहीं खौलता  खून हमारा, नहीं फटती छाती,

सरे बाजार शोहदो ने, लड़की का दुपट्टा खींचा,
उसकी सिसकी सुनकर भी,किसी का दिल नहीं पसीजा,

कब तक लगेगी जख्मों पर, कोई बात नहीं की दवाई,
जिस दिन हट गई औरत की, उस दी मचा देगी तबाही।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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