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White मैं बुझ चुका हूं अब, जला दिया था किसी ने। ©Pyare ji

#Sad_Status  White मैं बुझ चुका हूं अब,
 जला दिया था किसी ने।

©Pyare ji

#Sad_Status @katha Kridha शिवम् सिंह भूमि @Writer @Mysterious Girl

27 Love

White दूर से तो बस गुलाब नजर आता है, पास आने पर कांटों का एहसास होता है... ©Dia

#love_shayari #wishes  White  दूर से तो बस गुलाब नजर आता है,
पास आने पर कांटों का एहसास होता है...

©Dia

#love_shayari Zᴀɪꜰ शिवम् सिंह भूमि नंदी J.K.Ricson ( ved) @Niaz (Harf)

25 Love

#isro_day #SAD  White हम अब  मंगल और चांद पर बसने जा रहे हैं,
धरती को दूषित किया अब इन दोनो की बारी है।

©Pyare ji

#isro_day @Sircastic Saurabh @Dr. Parwarish @sherni शिवम् सिंह भूमि नीर

531 View

खत अच्छा लिखा था तुमने, हाल-चाल छोड़ के, सब कुछ लिखा था तुमने, चलो शुक्र है, याद तो हैं हम तुम्हें, वरना हमें तो लगा था, तुम भूल जाओगे हमें ©Dia

#kitaab  खत अच्छा लिखा था तुमने,
 हाल-चाल छोड़ के,
 सब कुछ लिखा था तुमने,
चलो शुक्र है, 
याद तो हैं हम तुम्हें,
वरना 
हमें तो लगा था,
 तुम भूल जाओगे हमें

©Dia

#kitaab @Niaz (Harf) शिवम् सिंह भूमि

18 Love

मैं नारी हूं, मेरे लिए समाज ने कई बंधन बनाए हैं, मेरे पैरों में अनदेखी अनकही,कई बेड़ियां है, मेरा मुस्कुराना भी समाज को गलत लगता है, मैं क्या सोचती हूं, मैं क्या चाहती हूं, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं एक नारी हूं, जिसके हाथों में ना दिखने वाली, हथकड़ियां है, मेरा किसी से मिलना समाज को आज भी पसंद नहीं, मेरा किसी के साथ उठना बैठना समाज को आज भी गलत लगता है, तुम्हें कैसे बताऊं कि मुझे क्या पसंद है, तुम्हें कैसे बताऊं? ©Dia

#dhoop #SAD  मैं नारी हूं,
  मेरे लिए समाज ने कई बंधन बनाए हैं,
 मेरे पैरों में अनदेखी अनकही,कई बेड़ियां है,
 मेरा मुस्कुराना भी समाज को गलत लगता है,
 मैं क्या सोचती हूं, मैं क्या चाहती हूं,
 इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता,
 मैं एक नारी हूं, 
जिसके हाथों में ना दिखने वाली, हथकड़ियां है,
मेरा किसी से मिलना समाज को आज भी पसंद नहीं,
 मेरा किसी के साथ उठना बैठना समाज को आज भी गलत लगता है,
 तुम्हें कैसे बताऊं कि मुझे क्या पसंद है,
 तुम्हें कैसे बताऊं?

©Dia

#dhoop @Niaz (Harf) @Madhusudan Shrivastava शिवम् सिंह भूमि Rakesh Kumar Himanshu @ABRAR

18 Love

जिंदगी तो थी, पर जीना सिखा, तुमसे मिलने के बाद, आईना तो था, पर खुद को देखा, तुम्हारी आंखों में डूब जाने के बाद, अकेला अधूरा सा था मैं,आसमान में चांद की तरह, मुकम्मल हुआ, तुमसे चांदनी मिलने के बाद, हर रोज सोचता हूं,कुछ लिखूं तुम्हारे लिए, कलम रुक जाती है,तुम्हारा खयाल आने के बाद। ©Dia

 जिंदगी तो थी, पर जीना सिखा, 
तुमसे मिलने के बाद,

 आईना तो था, पर खुद को देखा,
तुम्हारी आंखों में डूब जाने के बाद,

 अकेला अधूरा सा था मैं,आसमान में चांद की तरह,
मुकम्मल हुआ, तुमसे चांदनी मिलने के बाद,

हर रोज सोचता हूं,कुछ लिखूं तुम्हारे लिए,
कलम रुक जाती है,तुम्हारा खयाल आने के बाद।

©Dia

#Nojoto @Niaz (Harf) @usFAUJI नंदी शिवम् सिंह भूमि @Dr Ashish Vats

18 Love

White मैं बुझ चुका हूं अब, जला दिया था किसी ने। ©Pyare ji

#Sad_Status  White मैं बुझ चुका हूं अब,
 जला दिया था किसी ने।

©Pyare ji

#Sad_Status @katha Kridha शिवम् सिंह भूमि @Writer @Mysterious Girl

27 Love

White दूर से तो बस गुलाब नजर आता है, पास आने पर कांटों का एहसास होता है... ©Dia

#love_shayari #wishes  White  दूर से तो बस गुलाब नजर आता है,
पास आने पर कांटों का एहसास होता है...

©Dia

#love_shayari Zᴀɪꜰ शिवम् सिंह भूमि नंदी J.K.Ricson ( ved) @Niaz (Harf)

25 Love

#isro_day #SAD  White हम अब  मंगल और चांद पर बसने जा रहे हैं,
धरती को दूषित किया अब इन दोनो की बारी है।

©Pyare ji

#isro_day @Sircastic Saurabh @Dr. Parwarish @sherni शिवम् सिंह भूमि नीर

531 View

खत अच्छा लिखा था तुमने, हाल-चाल छोड़ के, सब कुछ लिखा था तुमने, चलो शुक्र है, याद तो हैं हम तुम्हें, वरना हमें तो लगा था, तुम भूल जाओगे हमें ©Dia

#kitaab  खत अच्छा लिखा था तुमने,
 हाल-चाल छोड़ के,
 सब कुछ लिखा था तुमने,
चलो शुक्र है, 
याद तो हैं हम तुम्हें,
वरना 
हमें तो लगा था,
 तुम भूल जाओगे हमें

©Dia

#kitaab @Niaz (Harf) शिवम् सिंह भूमि

18 Love

मैं नारी हूं, मेरे लिए समाज ने कई बंधन बनाए हैं, मेरे पैरों में अनदेखी अनकही,कई बेड़ियां है, मेरा मुस्कुराना भी समाज को गलत लगता है, मैं क्या सोचती हूं, मैं क्या चाहती हूं, इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं एक नारी हूं, जिसके हाथों में ना दिखने वाली, हथकड़ियां है, मेरा किसी से मिलना समाज को आज भी पसंद नहीं, मेरा किसी के साथ उठना बैठना समाज को आज भी गलत लगता है, तुम्हें कैसे बताऊं कि मुझे क्या पसंद है, तुम्हें कैसे बताऊं? ©Dia

#dhoop #SAD  मैं नारी हूं,
  मेरे लिए समाज ने कई बंधन बनाए हैं,
 मेरे पैरों में अनदेखी अनकही,कई बेड़ियां है,
 मेरा मुस्कुराना भी समाज को गलत लगता है,
 मैं क्या सोचती हूं, मैं क्या चाहती हूं,
 इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता,
 मैं एक नारी हूं, 
जिसके हाथों में ना दिखने वाली, हथकड़ियां है,
मेरा किसी से मिलना समाज को आज भी पसंद नहीं,
 मेरा किसी के साथ उठना बैठना समाज को आज भी गलत लगता है,
 तुम्हें कैसे बताऊं कि मुझे क्या पसंद है,
 तुम्हें कैसे बताऊं?

©Dia

#dhoop @Niaz (Harf) @Madhusudan Shrivastava शिवम् सिंह भूमि Rakesh Kumar Himanshu @ABRAR

18 Love

जिंदगी तो थी, पर जीना सिखा, तुमसे मिलने के बाद, आईना तो था, पर खुद को देखा, तुम्हारी आंखों में डूब जाने के बाद, अकेला अधूरा सा था मैं,आसमान में चांद की तरह, मुकम्मल हुआ, तुमसे चांदनी मिलने के बाद, हर रोज सोचता हूं,कुछ लिखूं तुम्हारे लिए, कलम रुक जाती है,तुम्हारा खयाल आने के बाद। ©Dia

 जिंदगी तो थी, पर जीना सिखा, 
तुमसे मिलने के बाद,

 आईना तो था, पर खुद को देखा,
तुम्हारी आंखों में डूब जाने के बाद,

 अकेला अधूरा सा था मैं,आसमान में चांद की तरह,
मुकम्मल हुआ, तुमसे चांदनी मिलने के बाद,

हर रोज सोचता हूं,कुछ लिखूं तुम्हारे लिए,
कलम रुक जाती है,तुम्हारा खयाल आने के बाद।

©Dia

#Nojoto @Niaz (Harf) @usFAUJI नंदी शिवम् सिंह भूमि @Dr Ashish Vats

18 Love

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