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नहीं मैं डूबता तो और क्या करता मेरे यारो! न तो कश्ती समझ आई,न दरिया ही समझ आया ©Ghumnam Gautam
Ghumnam Gautam
14 Love
White संजीदा होने के बावजूद वो हँसी बिखेरने की कोशिश कर रहा हैँ लगता हैँ उसके भीतर कही. गम का कोई दरिया न बह रहा हो ©Parasram Arora
Parasram Arora
12 Love
White मन तो बावरा है अटकता है कभी तो भटकता है कभी.. विरक्त है कभी तो आसक्त है कभी... धूप है प्रेम की तो छाह यादों की कभी!! डूबता उतरता सा मचलता, भटकता सा कभी, कितने रंग समेटे खुद में हो रहा बदरंग कभी रे मन.. कैसे पाऊँ थाह तेरी है तू आस कभी तो तू है निर्लिप्त कभी ©हिमांशु Kulshreshtha
हिमांशु Kulshreshtha
20 Love
White लोग आज भी मुझे उलाहना देते है कि मैं दरिया दिली से लोगो की मदद क्यों नही करता कैसे समझाऊ मैं उन लोगो को. कि अभी तो मैं दरिया का कतरा मात्र हू मुझे दरिया बनने मे एक लम्बा वक्त लग सकता है ©Parasram Arora
11 Love
White बेड़ा स्वयं ग़र्क़ करता है, घण्टा नहीं फ़र्क पड़ता है, बेमतलब की बातों पर भी, मूरख सदा तर्क करता है, अपनी ही करतूतों से वह, जन्नत जहाँ नर्क करता है, सच्चा वैद्य हरे दुःख पीड़ा, जड़ी पीस अर्क करता है, सूरज की गर्मी से मतलब, नाहक मकर कर्क करता है, अंतर्घट की प्यास बुझा लो, गुरुवाणी सतर्क करता है, 'गुंजन' विला जरूरत के भी, बस दिन-रात वर्क करता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra
Shashi Bhushan Mishra
13 Love
SAMEER SAHAB
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