White रचना दिनांक ््24,,10,,,2024
वार। गुरुवार
समय,,, सुबह ्््पांच बजे
््््निज विचार ्््््
्््भावचित्र ्््
्््शीर्षक ्््
्््छाया चित्र में दिखाया गया चित्र में देख रहा है ,ब़ीज से अपनी दिशा में आगे पीछे कर देख रहा है,
गगन निहारते पल भर में खो गई तस्वीर है आज के दौर में ,,बच्चों बढे जवान सभी जीवों में मनुष्य शरीर में ,,
प्राण वायु और पंचतत्व की काया माया से सजाया है्््््््
सच में आंखें खोल कर देख रहा मेरे पास आ रही है,
प्रेम और उदारता की प्रतिमूर्ति मानवीय मूल्यों पर आधारित,
श्रम जीवन और समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही,
चिंता की लकीरें खींच गई तस्वीर में दिख रहा है नवयुवक निहार रहा है,,
रुठ में तमाम भ्रष्ट तंत्र हावी हो जाता है।। अपना भविष्य खुद जाने अंजाने में स्वयं से खिलवाड़ कर रहा है,
उच्च शिक्षा प्राप्त सड़कों पर धक्के खा रहे हैं ।।
उन्हें उचित स्थान पर योग्यता की कसौटी पर रोजगार उपलब्ध नहीं है ,,
सरकारियातंत्र लचार पंगु बना हुआ है,
जो सिर्फ सिर्फ स्वरोजगार प्रशिक्षण शिविर योजनाएं चलाई जा रही है ,।।
और रहा सहा तात्कालिक रूप सरकार का प्रमुख ठैला,फैरी लगाने का सुझाव देते नजर आते हैं।।
केन्द्र सरकार द्वारा आर्थिक स्थिति बद से बद्तर हो चुकी है,,
विश्व बैंक से दो हजार चौदह से दो हजार चौवीस तक करोड़ों रुपए का कर्ज से डुबी हुई,,
अर्थ व्यवस्था का सुधार हो ऐसी स्थिति अभी ऐसे आसार दिखाई दे नहीं रहें हैं।।
इस कारण बताओ मैं जिंदगी में मानसिक सम्प्रेषण दबाव में,
युवा पीढ़ी बेरोजगार युवाओं की फौज तैयार है,,
मंहगाई खात जात है।।
और अप्रत्यक्ष रूप से जीवन व्यतीत करते में आयी कठिनाई के दौर में,
बच्चों जवान में बढ़ते अपराध हिंसा से तनाव बना रहता है।।
राजनैतिक दल विचारधारा वाले जाति, धर्म, संप्रदाय, वर्णाश्रम , व्यवस्था,
छल प्रपंच धूर्रता से चुनावी सभा में झूठी घोषणाओं का पूलिन्दा लेकर,,
देश में प्रदेश में नर नारी में अंतर्कलह स्थापित करने वाली चूनावी रंग रुठ से ,
अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने वाले दूराचार से अपनी दिशा लेकर चलते हैं।।
ऐसे असंख्य लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून से ऊपर उठकर चल रहे ,,
तंत्र से लोकतंत्र लाचार है।।
जो खुद न्याय पाओ मर्यादा की पंक्ति में लाचार हो कर खड़े होते देख सकते हो,,
यह कथन सच्चाई है जिसे हम तुम्हारे साथ में मानसिक रूप से रूबरू होकर चर्चा आम कर रहे हैं।।
क्या यही मेरे देश की दशा और दिशा में आमूलचूल परिवर्तन क्या आ है,,
क्या हम दिलों से ऐसी उम्मीद कर सकते हैं।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््
24,,,10,,,2024
©Shailendra Anand
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