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White गुमनाम भरे शहर में, शोर यूं ही नहीं मचा होगा, नए हो यह कहते कहते घर तुम्हारा यहीं कहीं बसा होगा, नींव यहां की तुमने ही रखी होगी, नहीं तो यहां कुछ सुनसान नहीं रहा होता। ©Ajay Garg

#love_shayari  White गुमनाम भरे शहर में,
शोर यूं ही नहीं मचा होगा,
नए हो यह कहते कहते
घर तुम्हारा यहीं कहीं बसा होगा,
नींव यहां की तुमने ही रखी होगी,
नहीं तो यहां कुछ सुनसान नहीं रहा होता।

©Ajay Garg

#love_shayari गुमनाम शहर

13 Love

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा... शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#शायरी #GoodMorning  White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा...
शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना...

©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#GoodMorning शहर

14 Love

White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।। ©Updated Mirzapuri

#मिर्जापुर #sad_shayari #शहर #नशा  White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।।

©Updated Mirzapuri

White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh

 White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह  महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ...

©Lõkêsh

शहर…

11 Love

#कविता  White तृप्ति की कलम से
मुक्तक
विषय-गाँव और शहर
***************************************
गाँव को छोड़ शहर आया सुख की तलाश में।
शहर में निजी घर बसाया सुख की तलाश में।
रह गयी बस सुबह-शाम भागम-भाग जिंदगी-
शान्ति,अपनापन गवाया सुख की तलाश में।
*************************************
रह गयी अब बस सुखद यादें मेरे गांव की
खो गयी ठंडी हवा उन पेड़ों की छांव की।
शहर आकर क्या-क्या खोया हमने अब जाना-
जब घिसी चप्पलों को देखा अपने पांव की।
***************************************
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी(उ०प्र०)

©tripti agnihotri

विषय -गाँव और शहर

108 View

White गुमनाम भरे शहर में, शोर यूं ही नहीं मचा होगा, नए हो यह कहते कहते घर तुम्हारा यहीं कहीं बसा होगा, नींव यहां की तुमने ही रखी होगी, नहीं तो यहां कुछ सुनसान नहीं रहा होता। ©Ajay Garg

#love_shayari  White गुमनाम भरे शहर में,
शोर यूं ही नहीं मचा होगा,
नए हो यह कहते कहते
घर तुम्हारा यहीं कहीं बसा होगा,
नींव यहां की तुमने ही रखी होगी,
नहीं तो यहां कुछ सुनसान नहीं रहा होता।

©Ajay Garg

#love_shayari गुमनाम शहर

13 Love

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा... शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#शायरी #GoodMorning  White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा...
शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना...

©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#GoodMorning शहर

14 Love

White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।। ©Updated Mirzapuri

#मिर्जापुर #sad_shayari #शहर #नशा  White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।।

©Updated Mirzapuri

White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh

 White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह  महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ...

©Lõkêsh

शहर…

11 Love

#कविता  White तृप्ति की कलम से
मुक्तक
विषय-गाँव और शहर
***************************************
गाँव को छोड़ शहर आया सुख की तलाश में।
शहर में निजी घर बसाया सुख की तलाश में।
रह गयी बस सुबह-शाम भागम-भाग जिंदगी-
शान्ति,अपनापन गवाया सुख की तलाश में।
*************************************
रह गयी अब बस सुखद यादें मेरे गांव की
खो गयी ठंडी हवा उन पेड़ों की छांव की।
शहर आकर क्या-क्या खोया हमने अब जाना-
जब घिसी चप्पलों को देखा अपने पांव की।
***************************************
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी(उ०प्र०)

©tripti agnihotri

विषय -गाँव और शहर

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