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New नॉलेज दादी मिर्जापुर Status, Photo, Video

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"जादुई बांसुरी और अनोखा जंगल – विक्रम की साहसिक यात्रा और खतरनाक रहस्यों की खोज" - विक्रम अपनी दादी की जादुई बांसुरी के साथ अज्ञात जंगल में

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White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।। ©Updated Mirzapuri

#मिर्जापुर #sad_shayari #शहर #नशा  White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।।

©Updated Mirzapuri
#कॉमेडी #chinihub #Funny #viral

रामलाल ने दादी को दिखाया जादू 🤣🤣 #nojoto #comedy #Funny #viral #chinihub हिंदी कॉमेडी 'कॉमेडी वीडियो' शायरी चुटकुले

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White एक बच्ची की उस नादानियों को समझ कर देखा है क्या तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या अपनी ये आधी जिंदगी को मां-बाप के यहां गुजार देती है अपनी ये आधी जिंदगी को वो ससुराल में गुजार देती है ये सभी उन सहेलियों को भी भूल जाती है वो अपने ही उस सपनों को भी भूल जाती है उसके इस त्याग को तुम कभी भी समझ कर देखा है क्या तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या कभी दादी, कभी नानी, कभी मौसी ,कभी भाभी , कभी मम्मी, कभी चाची ,कभी दोस्त, तो कभी पत्नी मै कितने रिश्ते बताऊं मे हर जगह सर्वोपरि ही आती है ये हर जगह अपने हुनर का प्रदर्शन ही कर जाती है तुम कभी ऐसा हुनर कहीं और भी देखा है क्या तुम कभी ये औरत बन कर देखा है .....🖊️ ©बेजुबान शायर shivkumar

#बेजुबानशायर143 #बेटियां #कविता95 #कविता #बेटी #love_shayari  White एक बच्ची की उस नादानियों को समझ कर देखा है क्या
तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या

अपनी ये आधी जिंदगी को मां-बाप के यहां गुजार देती है
अपनी ये आधी जिंदगी को वो ससुराल में गुजार देती है

ये सभी उन सहेलियों को भी भूल जाती है
वो अपने ही उस सपनों को भी भूल जाती है

उसके इस त्याग को तुम कभी भी समझ कर देखा है क्या
तुम कभी  ये औरत बनकर देखा है क्या

कभी दादी, कभी नानी, कभी मौसी ,कभी भाभी ,
कभी मम्मी, कभी चाची ,कभी दोस्त, तो कभी पत्नी

मै कितने रिश्ते बताऊं मे हर जगह सर्वोपरि ही आती है
ये हर जगह अपने हुनर का प्रदर्शन ही कर जाती है

तुम कभी ऐसा हुनर कहीं और भी देखा है क्या
तुम कभी ये औरत बन कर देखा है .....🖊️

©बेजुबान शायर shivkumar

दादा दादी

135 View

#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

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#वीडियो

"जादुई बांसुरी और अनोखा जंगल – विक्रम की साहसिक यात्रा और खतरनाक रहस्यों की खोज" - विक्रम अपनी दादी की जादुई बांसुरी के साथ अज्ञात जंगल में

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White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।। ©Updated Mirzapuri

#मिर्जापुर #sad_shayari #शहर #नशा  White मिर्जापुर शहर नही, नशा हैं।।

©Updated Mirzapuri
#कॉमेडी #chinihub #Funny #viral

रामलाल ने दादी को दिखाया जादू 🤣🤣 #nojoto #comedy #Funny #viral #chinihub हिंदी कॉमेडी 'कॉमेडी वीडियो' शायरी चुटकुले

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White एक बच्ची की उस नादानियों को समझ कर देखा है क्या तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या अपनी ये आधी जिंदगी को मां-बाप के यहां गुजार देती है अपनी ये आधी जिंदगी को वो ससुराल में गुजार देती है ये सभी उन सहेलियों को भी भूल जाती है वो अपने ही उस सपनों को भी भूल जाती है उसके इस त्याग को तुम कभी भी समझ कर देखा है क्या तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या कभी दादी, कभी नानी, कभी मौसी ,कभी भाभी , कभी मम्मी, कभी चाची ,कभी दोस्त, तो कभी पत्नी मै कितने रिश्ते बताऊं मे हर जगह सर्वोपरि ही आती है ये हर जगह अपने हुनर का प्रदर्शन ही कर जाती है तुम कभी ऐसा हुनर कहीं और भी देखा है क्या तुम कभी ये औरत बन कर देखा है .....🖊️ ©बेजुबान शायर shivkumar

#बेजुबानशायर143 #बेटियां #कविता95 #कविता #बेटी #love_shayari  White एक बच्ची की उस नादानियों को समझ कर देखा है क्या
तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या

अपनी ये आधी जिंदगी को मां-बाप के यहां गुजार देती है
अपनी ये आधी जिंदगी को वो ससुराल में गुजार देती है

ये सभी उन सहेलियों को भी भूल जाती है
वो अपने ही उस सपनों को भी भूल जाती है

उसके इस त्याग को तुम कभी भी समझ कर देखा है क्या
तुम कभी  ये औरत बनकर देखा है क्या

कभी दादी, कभी नानी, कभी मौसी ,कभी भाभी ,
कभी मम्मी, कभी चाची ,कभी दोस्त, तो कभी पत्नी

मै कितने रिश्ते बताऊं मे हर जगह सर्वोपरि ही आती है
ये हर जगह अपने हुनर का प्रदर्शन ही कर जाती है

तुम कभी ऐसा हुनर कहीं और भी देखा है क्या
तुम कभी ये औरत बन कर देखा है .....🖊️

©बेजुबान शायर shivkumar

दादा दादी

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#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

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