🙏🌷 सादर अभिवादन मित्रो 🌷🙏
दोहा-छंद
पवन प्रकृति पावस पढ़े,प्रतिबिंबित प्रति पात।
प्रेम पगी प्रत्यूषता, पल - पल पले प्रभात।।
प्रेमिल पावस पारखी, परिवर्तन प्रतिमूर्ति।
प्यार-पयोधि प्रसन्नता,प्रण प्रतीति प्रतिपूर्ति।।
पटु प्रतीक परछाइयाँ, परिचायक परितुष्ट।
पविता परिसर प्रणय पथ,परिलक्षित परिपुष्ट।।
प्रतिचिंहित प्रतिबिंब पथ, प्रादुर्भाव प्रदीप।
परिणामी परिणति प्रथक,परिच्युत प्रहर प्रतीप।।
प्यार प्रतीति प्रबोधिनी, प्रायश्चित प्रारब्ध।
प्राण प्रतिष्ठा पूर्णता, परिधूपित परिलब्ध।।
©Dr Virendra Pratap Singh Bhramar
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