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तुम से तो गरीबी ये मिटाई ना जाएगी बेहतर तो यही है के गरीबों को मिटा दो ©Gazal

#तुमसे #शायरी #गरीबी  तुम से तो गरीबी ये मिटाई ना जाएगी
बेहतर तो यही है के गरीबों को मिटा दो

©Gazal

#गरीबी #तुमसे शायरी हिंदी शायरी हिंदी में शेरो शायरी @Radhey Ray @Ayesha Aarya Singh @Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) @poet ziya ansari दीपबोधि

13 Love

औरत सियासत संभाल नहीं सकती या उन्हें सियासत संभालने दिया ही नहीं जाता? 8/8/24 ⏰10:41 a. m. (Ubaida Khatoon S S) ✍️ ©Ubaida khatoon Siddiqui

#विचार #Ubaidakhatoon #ubaidawrites  औरत सियासत संभाल नहीं सकती 
या 
उन्हें सियासत संभालने दिया ही नहीं जाता? 
8/8/24
⏰10:41 a. m. 
(Ubaida Khatoon S S) ✍️

©Ubaida khatoon Siddiqui

#Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts

14 Love

वैचारिक जंग से हर दिन टकराता हूं अंदर- बाहर, अपना- पराया सब से उलझता हूं पढ़ा हूं ,जाना हूं ,हकीकत समझता हूं भीड़ में भी सच कहने की ताकत रखता हूं हां मैं हर दिन लोंगो से उलझता हूं वर्षो की विरासत पर प्रश्न चिंह लगता हूं धार्मिकता की मानसिक गुलामी , आडंबरवाद ,ब्राह्मणवाद , पतृसत्तावाद और वंशवाद को धिक्कारता हूं हां मैं मानने से पहले जानना चाहता हूं जोकि बनी बनाई व्यवस्था सच बताने से कतराता है वह नही चाहता कि उसका एकाधिकार छीना जाए जो हुआ सो हुआ आगे के लिए सकारात्मक बदलाव किया जाए लोगों को भेड़ चाल आसान जान पड़ता हैं हकीकत की राह उसे मुश्किल नजर आता हैं मैं मुश्किल में पड़ वैचारिक बदलाव चाहता हूं लोग हकीकत को समझे मैं वो व्यवहार देखना चाहता हूं । ©Arun kr.

#विचार  वैचारिक जंग से हर दिन टकराता  हूं
अंदर- बाहर, अपना- पराया सब से उलझता हूं
पढ़ा हूं ,जाना हूं ,हकीकत समझता हूं
भीड़ में भी सच कहने की ताकत रखता हूं 
हां मैं हर दिन लोंगो से उलझता हूं
वर्षो की विरासत पर  प्रश्न चिंह लगता हूं
धार्मिकता की मानसिक गुलामी , आडंबरवाद ,ब्राह्मणवाद , पतृसत्तावाद और वंशवाद को धिक्कारता हूं
हां मैं मानने से पहले जानना चाहता हूं
जोकि बनी बनाई व्यवस्था सच बताने से कतराता है
वह नही चाहता कि उसका एकाधिकार छीना जाए
जो हुआ सो  हुआ आगे के लिए सकारात्मक बदलाव किया जाए
लोगों को भेड़ चाल आसान जान पड़ता हैं
हकीकत की राह उसे मुश्किल नजर आता हैं
मैं मुश्किल में पड़ वैचारिक बदलाव चाहता हूं
लोग हकीकत को समझे मैं वो व्यवहार देखना चाहता हूं ।

©Arun kr.

वैचारिक जंग से हर दिन टकराता हूं अंदर- बाहर, अपना- पराया सब से उलझता हूं पढ़ा हूं ,जाना हूं ,हकीकत समझता हूं भीड़ में भी सच कहने की ताकत रखता हूं हां मैं हर दिन लोंगो से उलझता हूं वर्षो की विरासत पर प्रश्न चिंह लगता हूं धार्मिकता की मानसिक गुलामी , आडंबरवाद ,ब्राह्मणवाद , पतृसत्तावाद और वंशवाद को धिक्कारता हूं हां मैं मानने से पहले जानना चाहता हूं जोकि बनी बनाई व्यवस्था सच बताने से कतराता है वह नही चाहता कि उसका एकाधिकार छीना जाए जो हुआ सो हुआ आगे के लिए सकारात्मक बदलाव किया जाए लोगों को भेड़ चाल आसान जान पड़ता हैं हकीकत की राह उसे मुश्किल नजर आता हैं मैं मुश्किल में पड़ वैचारिक बदलाव चाहता हूं लोग हकीकत को समझे मैं वो व्यवहार देखना चाहता हूं । ©Arun kr.

10 Love

#मोटिवेशनल  हंसी तो तब आता है जब यह देखता हूं कि ...
नौजवान आपस में नेता और पार्टीयो के नाम पर लड़ झगड़ रहे हैं.. 
बजाय विकास और उन्नयन के ऊपर बात करने पर...

©Bengal Patriot

. देश के भविष्य ..नौजवान की हालत

135 View

#భయానక  రాజకీయ నాయకులు:-
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
*రాజకీయవాది వాతావరణ శాస్త్రాజ్ఞులాంటి వాడు,ఏవైపు గాలి కొడుతుందో బాగా ఎరిగిన వాడు


*రాజకీయాల్లో ఎదగాలనుకునే వారికి తప్పకుండా ఉండవలసిన లక్షణం మతిమరుపు...!

©VADRA KRISHNA

*జాన్ కిన్నెత్ గాల్ బ్రెయిల్

117 View

#Motivational  आजकल लोगों को अपने दर्द से जितनी तकलीफ़ नहीं होती।
उतनी तकलीफ़ लोगो की खुशियां देख कर हो जाती हैं।

©Ak

#Love

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