Message of the Day
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#शायरी #Messageoftheday  #MessageOfTheDay उजड़ी हुई दुनियां को तू आबाद ना कर,

बीते हुए लम्हों को तू याद ना कर,
एक कैद परिंदे ने कहा हमसे,
मैं भूल चुका हु उड़ानतू मुझे 
आजाद ना कर..!!! 🙏🙏

©chandan narware
#Messageoftheday #विचार #Quotes  #MessageOfTheDay Retirement is not the end of journey,
It is beginning of new life,
New chapter of life with new challenges,
Enjoy the retirement n live happily.

©Varun Raj Dhalotra

#Messageoftheday #Nojoto #Quotes

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#zindgimerinazarse #Messageoftheday #शायरी #parinda #shayri #nazar  #MessageOfTheDay उड़ जाता,अगर मैं परिंदा होता,
लेता सांसे,अगर मैं जिंदा होता,,


रिम्मी  बेदी नज़र

©NAZAR
#अरुणिमा #अरूणिमा #कविता #Messageoftheday  #MessageOfTheDay 
#अरूणिमा
भोर ने दस्तक दीअरूणिमा की बेला आई
खिलने को कुसुम तरू पर नव चेतना भर लाई 
कलरव से पंछियों की होती सुबह की है आभास
मन उमंग से भर उठा जब फैला अवनि पर प्रकाश

©Savita Suman

#MessageOfTheDay कैसी बिडम्वना है माता-पिता के रहते, उन्हें उचित सम्मान,प्रेम नही दिया जाता है। वही जब पितृ बन जाते है, तो करये दिनों में पूजे जाते है। सुबह नहा-धोकर,उन्हें भोग लगाने के लिए, रोज नये-नये पकवान बनाये जाते है। पितृ और कौए की स्थति मुझे एक सी जान पड़ती है। दोनों ही आवश्यकता पड़ने पर पूजे जाते है। और आवश्यकता समाप्त हो जाने पर धूधकारे जाते है। "पितृ देवों भव" के नारे लगाये जाते है। पर यह कैसी विडंबना है,जिन्हे जीते जी पानी न दिया, आज पितृ बनने पर वही पूजे जाते है। ©एक राही

#Messageoftheday #विचार  #MessageOfTheDay  कैसी बिडम्वना है माता-पिता के रहते,
उन्हें उचित सम्मान,प्रेम नही दिया जाता है।
वही जब पितृ बन जाते है,
तो करये दिनों में पूजे जाते है।
सुबह नहा-धोकर,उन्हें भोग लगाने के लिए,
रोज नये-नये पकवान बनाये जाते है। 
 पितृ और कौए की स्थति मुझे एक सी जान पड़ती है।
दोनों ही आवश्यकता पड़ने पर पूजे जाते है।
और आवश्यकता समाप्त हो जाने पर धूधकारे जाते है।
"पितृ देवों भव" के नारे लगाये जाते है।
पर यह कैसी विडंबना है,जिन्हे जीते जी पानी न दिया,
आज पितृ बनने पर वही पूजे जाते है।

©एक राही
#शायरी #Messageoftheday #akelapan #akela  #MessageOfTheDay    बिछर के अपने सब साथी से हो गया हूँ मैं अकेला,                        सूरज डूबा साँझ हो गई छूट गया अपनों का मेला, 
        बहुत दुखी हूँ क्या बताऊँ किस्मत ने क्या खेल है खेला, 
     और यहाँ जीने की खातिर किसे पता क्या क्या है झेला।
🙏

©S Priyadarshini
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