उस जश्न में हम भी शामिल थे,पर दिल श्रांत लगने लगा। देखते ही देखते वहाँ के माहौल हमें अशांत लगने लगा। महफ़िल में मेहमानों के हम कैसे रख सकते थे ख़याल , खुद.
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