भाग 5
"सच दीदी,वो मनप्रीत ही है।उसने मेरी गाड़ी को रोका, मैंने और मां ने एक साथ उसको देखा,मां ने डर से आंखें बन्द कर ली पर मैं उसको सुनता रहा।वो कह रही थी कि मेघा जिंदा है,उसके मरने के बाद कोई लेकर भाग गया मेरी बच्ची को।"
"तूं की बकवास कर रहा लल्ला!ऐसा केसे हो सकता है!!मेघा जिंदा है तो हमने उसको ढूंढा क्यों नहीं? तूने भी नहीं ढूंढा उसको!10 साल बाद अब किधर ढूंढेगा?"
"अरे दीदी शांत हो जाओ।कल सोचेंगे इस बारे में।अभी मुझे ये बताओ कि ये भाभी को इस उम्र में क्या सूझी बच्चे की?पलक और पारखी शादी के लायक हो चुकी हैं। वे लोग साथ आई तक नहीं अपने भाई को देखने दिल्ली से।उन्हें शर्म आ रही।"
"देख लल्ला शर्म जेसी कोई बात नहीं है पर वे लोग दिल्ली में पढ़कर ज्यादा ही मॉडर्न हो गई हैं। हां भाभी की उम्र तो नहीं थी पर मां ने जीना दूभर कर रखा था उनका पोते के लिए। तूं भी तो मनप्रीत के गुजरने के बाद दूसरी शादी के लिए नहीं माना।तूं मान जाता तो भाभी को तो इतना न झेलना पड़ता।"
"दीदी आप भी ना।ना तो मैं अपनी मनप्रीत को भुला हूं ना उस नन्ही सी जान को। मां को दिक्कत केवल पोती से नहीं बहू से भी थी,क्योंकि वो दूसरी बिरादरी से थी।दिल्ली की हाई फाई पंजाबी लड़की को वो पूरी तरह गांव की घूंघट वाली बहू में तब्दील करना चाहती थी तो ये कैसे होता!"
"मैं तेरा दुख समझती हूं लल्ला,पर तुझे जीवन में आगे बढ़ना होगा न।मेरी एक ममेरी ननद है,बहुत प्यारी है,अच्छी रहेगी तेरे लिए।"
"बस करो दीदी।बहुत थक गया हूं।अब सो जाऊं।आप भी सो जाओ।"
©निम्मी
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