Word of the day- Newspaper
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#न्यूज़ #Newspaper  सुर्खी-ए-अख़बार होना मुश्किल नही यहाँ 'साबिर'
चार बातें ख़िलाफ़-ए-सियासत कह कर देखो।

                                       -साबिर बख़्शी

©बख़्शी डायरी

सुर्खी ए अख़बार होना मुश्किल नही.... #Nojoto #Newspaper

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मैने चुपके चुपके इश्क़ किया था तुमसे तुमने मुझे शहर भर अखबार बना दिया यूं मेरी रुसवाई की जी भर कर के तुमने हर कोई पढ़ सके वो इश्तिहार बना दिया ©Mona Dear✍️

#News  मैने चुपके चुपके इश्क़ किया था तुमसे
तुमने मुझे शहर भर अखबार बना दिया
यूं मेरी रुसवाई की जी भर कर के तुमने
हर कोई पढ़ सके वो इश्तिहार बना दिया

©Mona Dear✍️

#News

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 ମୁଁ ଏବେ ବି ବଞ୍ଚିଛି... 
(ତୁର୍କୀ ଓ ସିରିଆ ଭୁମିକମ୍ପର ଦାରୁଣ ଚିତ୍ର) 

ହେ, ଈଶ୍ବର 
ତୁମେ ଶୁଣୁଛ, 
ଭଗ୍ନ ସ୍ତୁପ ତଳେ
ମୁଁ ଏବେ ବି ବଞ୍ଚିଛି 
ନା, ଭୁଲ୍ ହୋଇଗଲା 
ତୁମେ ବଞ୍ଚାଇ ରଖିଛ 
ଅହୋଭାଗ୍ୟ ମୋର 

ହଁ, ପରୀକ୍ଷା ନେଉଛ 
ମୁଁ ଜାଣେ, 
ମୁଁ ଜାଣେ, ହେଲେ ମୋର ନୁହେଁ 
ତୁମେ ସୃଷ୍ଟି କରିଥିବା ମଣିଷଙ୍କର 
ସଭ୍ୟତାର ଓ ମାନବିକତାର 

ହେଉ, କିଛି କଥା ନାହିଁ 
ଅପେକ୍ଷା କରିବି ତୁମର, 
ସେଇ ମଣିଷ ରୂପି ଦେବଦୂତଙ୍କର 
ଅପେକ୍ଷା କରିବି, ତୁମ କରୁଣାକୁ 
ଶୁଣିଛି ତୁମେ ପରା କରୁଣାକର 

ପୋତି ଦେଇଛ ମତେ ତୁମେ 
ତଥାପି ଶକ୍ତି ଦେଇଛ 
ଦେଖିବା ଓ ଶୁଣିବାକୁ 
ହାହାକାର ତାନରେ ନବଜାତକର ସ୍ବରକୁ
ଦେଖିଲି, ଦେବଦୂତ ଆସି ଜୀବନ୍ୟାସ ଦେଲେ 
ଟୋପା ଟୋପା କରି କେଇ ବୁନ୍ଦା 
ଜଳ ମୋ ତୁଣ୍ଡରେ ଢାଳିଲେ 

  ଶୀଘ୍ର କର, ଶୀଘ୍ର କର 
ଆଉ ଶକ୍ତି ନାହିଁ ସହିବାକୁ ମୋର 
ପାହୁଣ୍ଡେ, ପାହୁଣ୍ଡେ, ଚାଲିଆସ ତୁମେ 
ସମସ୍ତ ଶକ୍ତି ସଞ୍ଚୟ କରିଛି 
ଦେଖିବାକୁ ତୁମ ରୂପକୁ 
ବୋହି ଯାଉଛି ମୋର ଅଶ୍ରୁ ଧାର ।।

©Tafizul Sambalpuri

#କବିତା

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  पहले अल्फ़ाज़ बिके, फिर अख़बार बिके
और अब हर गुनाह की ज़मानत है ,,,,

मैं शहर बेज़ुबान होता देख रहा
इक अर्से से सब सलामत है ।।।

©Mohit A Soni

#News #newshayari #thought #Quote #words #Lafz #kahani

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तुम यकीन तो नहीं करोगे मगर सत्य यही है !!! खबर छापने से ज्यादा खबर ना छापने के पैसे लिए जाते है ©HARIBHAI GOHIL

#विचार  तुम यकीन तो नहीं करोगे 
मगर सत्य यही है 
!!!
खबर छापने से ज्यादा 
 खबर ना छापने के पैसे लिए जाते है

©HARIBHAI GOHIL

तुम यकीन तो नहीं करोगे मगर सत्य यही है !!! खबर छापने से ज्यादा खबर ना छापने के पैसे लिए जाते है ©HARIBHAI GOHIL

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#शायरी  सत्ताधीशों को कमज़ोर बताते हैं, आवाज़ दबाने वाले,
कुर्सी के ही पैरोकार हैं जनता से हर राज़ छुपाने वाले।

आंखों में आंखें डाल कर ही डर का कारोबार चलता है,
क्या लेना सच से, सब लिखते हैं अखबार चलाने वाले।

©Deepak Mishra 'Kitab Wala'

सत्ताधीशों को कमज़ोर बताते हैं, आवाज़ दबाने वाले, कुर्सी के ही पैरोकार हैं जनता से हर राज़ छुपाने वाले। आंखों में आंखें डाल कर ही डर का कारोबार चलता है, क्या लेना सच से, सब लिखते हैं अखबार चलाने वाले। ©Deepak Mishra 'Kitab Wala'

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