Makar Sankranti Messages
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#MakarSankranti2021 #భయానక  Makar Sankranti Messages  విధి అందరినీ ఒకేలా చూడదు.అయితే విధి చేసే చిన్నచూపు కంటే మనిషి తనను తాను చూసుకొనే చిన్నచూపే దౌర్భాగ్యానికి ప్రధాన కారణం.

©VADRA KRISHNA

Makar Sankranti Messages माझ्या आयुष्यातील अश्या लोकांना पण मकरसंक्रांतीच्या भरपूर शुभेच्छा, जे माझ्या तोंडावर गोड बोलतात आणि पाठीमागे चुगल्या करतात, 🤣 Wish you all the best तुम्ही अशाच कामात पुढे जा 🙏 ©Harsh Mangulkar

#MakarSankranti2021  Makar Sankranti Messages  माझ्या आयुष्यातील अश्या लोकांना पण 
मकरसंक्रांतीच्या भरपूर शुभेच्छा, 
जे माझ्या तोंडावर गोड बोलतात आणि 
पाठीमागे चुगल्या करतात, 🤣
Wish you all the best 
तुम्ही अशाच कामात पुढे जा 
🙏

©Harsh Mangulkar
#MakarSankranti2021 #कविता #kite  मकर संक्रांति  वो एक हवा का झरोखा ,
मैं कोई पतंग हूं नीले आसमान का।
चाहत है वो बहे कभी मेरे लिए फ़िजाओं में इस क़दर,
मैं ले लूं मजा उड़कर सारे जहान का।।

©Kumar Vivek

Makar Sankranti Messages मकर संक्रांति आपके लिए हो तिल लड्डू जैसी मीठी, मिले कामयाबी पतंग जैसी ऊंची, इसी कामना के साथ शुभ मकर संक्रांति ©Mahima Verma

#MakarSankranti2024 #Quotes #kite  Makar Sankranti Messages   मकर संक्रांति आपके लिए हो तिल लड्डू जैसी मीठी,
मिले कामयाबी पतंग जैसी ऊंची,
इसी कामना के साथ शुभ मकर संक्रांति

©Mahima Verma

#MakarSankranti2024 #kite festival

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Makar Sankranti Messages Happy Makkar sakranti 😊 ©SINGER TUSHAR SHARMA

#MakarSankranti2024  Makar Sankranti Messages  Happy Makkar
sakranti 😊

©SINGER TUSHAR SHARMA

Makar Sankranti Messages लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा पुनः त्योहार-ए-दीपावली। गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली, तिल तथा चिपटे चावल खाने के बावजूद मन है विकल क्योंकि इक गीत बनाने को, संगीत सजाने को जिसका इंतज़ार है, वही नहीं है, क्योंकि किसी की रचना को रिकॉर्ड करते-करते मुख दुख गया फिर भी गायन गज़ब न हो सका, काव्य रब न हो सका क्योंकि काव्य रब होता तो, क्योंकि काव्य सब होता हो मैं अब तक न रुका होता मैं वो हो चुका होता, जो होना है मुझे हमेशा के लिए। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#तिल_का_त्योहार_तथा_तुम #कविता  Makar Sankranti Messages  
लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा 
यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा
पुनः त्योहार-ए-दीपावली।
गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली,
तिल तथा चिपटे चावल 
खाने के बावजूद मन है विकल
क्योंकि इक गीत बनाने को,
संगीत सजाने को
जिसका इंतज़ार है,
वही नहीं है,
क्योंकि किसी की
रचना को रिकॉर्ड
करते-करते
मुख दुख गया 
फिर भी गायन गज़ब न हो सका,
काव्य रब न हो सका
क्योंकि काव्य रब होता तो,
क्योंकि काव्य सब होता हो
मैं अब तक न रुका होता
मैं वो हो चुका होता,
जो होना है मुझे
हमेशा के लिए।
                                 ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

#तिल_का_त्योहार_तथा_तुम लगता है फिर भी नहीं चैन आयेगा यद्यपि यहीं कहीं इसी महीने में मनाया जायेगा पुनः त्योहार-ए-दीपावली। गुड़, मुरमुरे, दही, मूँगफली, तिल तथा चिपटे चावल खाने के बावजूद मन है विकल क्योंकि इक गीत बनाने को,

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