असत्य पर सत्य का विजय को विजयादशमी कहते हैं सच तो सच होता है असद का जीत कभी नहीं मिल पाता है अतः हमें सच की और हमेशा अग्रसर रहना चाहिए।
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करते हैं हम बात गगन से ,
सूरज , चाँद , सितारों से ,
आगे बढ़ना चाह रहे हम
दुनियाँ के बाजारों से ,
लोकतंत्र के दुश्मन घर में
बैठ कब्र हैं खोद रहे ,
आज देश लगता है जैसे
भरा हुआ गद्दारों से !
अशान्त (पटना)
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