Rising sun shayari
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बाप वडिल त्या उगवत्या सुर्या सारखे असतात. ज्यान्च्या नुसत्या असण्याने ही मुलान्च जिवन प्रकाशमान होत असतं. स्वत चटके सोसून ते मुलान्ना सुख देत असतात पण एकदाचा का तो सूर्य मावळला तर मुलान्च अख्ख आयुष्य अन्धकारजमय होऊन जात... ©suwarta

#विचार #risingsun  बाप वडिल 
त्या उगवत्या सुर्या सारखे असतात.
ज्यान्च्या नुसत्या असण्याने ही
मुलान्च जिवन प्रकाशमान  होत असतं.
स्वत चटके सोसून ते मुलान्ना
 सुख देत असतात
पण एकदाचा का तो सूर्य मावळला
तर मुलान्च अख्ख आयुष्य
 अन्धकारजमय होऊन जात...

©suwarta

#risingsun

12 Love

🌷🙏🌷श्री सरस्वत्यै नमः🌷🙏🌷 करुणामयी हे शारदे माँ!, नव सृजन उपहार दो। कर दूर मन अज्ञानता-घन, ज्ञान का भण्डार दो।। आये शरण हम आपकी माँ!, ज्ञान की सत् दीप्ति दो। कर-जोड़ विनती आपसे है, चित्त को नभ कीर्ति दो।। साहित्य पथ पर नित चलें हम, बुद्धि मातु सँवार दो।  कर दूर मन अज्ञानता-घन, ज्ञान का भण्डार दो।। .......... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' ©Satendra Sharma

#कविता #prayer  🌷🙏🌷श्री सरस्वत्यै नमः🌷🙏🌷

करुणामयी हे शारदे माँ!, नव सृजन उपहार दो।
कर दूर मन अज्ञानता-घन, ज्ञान का भण्डार दो।।

आये शरण हम आपकी माँ!, ज्ञान की सत् दीप्ति दो।
कर-जोड़ विनती आपसे है, चित्त को नभ कीर्ति दो।।
साहित्य पथ पर नित चलें हम, बुद्धि मातु सँवार दो। 
कर दूर मन अज्ञानता-घन, ज्ञान का भण्डार दो।।
                           .......... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'

©Satendra Sharma

#prayer

15 Love

#Nojoto2liner #likhnewala #risingsun #2liner  मैं चाहता तो टांग देता सूरज को तुम्हारे माथे पर बिंदी की तरह,
पर मैं ज़माने में अंधेरे के खिलाफ़ हूं।

©Sumeet Kumar
#risingsun  हांजी सुनिएगा

यूंही नही इस महीने को जेठ कहते हैं
अच्छी अच्छी सिर ढककर चलती हैं

©M9jpooniya

#risingsun

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#risingsun  जल जीवन वन की महिमा।
जन-जन को समझाना।
स्वच्छ पर्यावरण ही पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा है।
ये बात जान जान को समझता है।
जीवन रक्षक पांच तत्वों का गुण।
अगर खो गया इसमें से तो सुन।
सुना हो जायेगा धरा का सबकुछ।
कुछ न बचेगा सबकुछ में प्राणदायक।
निर्जीव संजीव सब कुछ हो जाएगा एक लायक। 
किसी में न होगा जीवन न होगा कोई जीवन दायक ।

©Narendra kumar

#risingsun

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- कुण्डलिया छंद - जीना मुश्किल हो रहा, बरस रही है आग। घर के बाहर काटते, लू के काले नाग।। लू के काले नाग, रात में भी फुफकारें। गुस्साए आदित्य, सभी को मारे डारें।। तर है सारी देह, निरंतर बहे पसीना। पारा सेंतालीस, बड़ा मुश्किल है जीना।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #risingsun  - कुण्डलिया छंद -
जीना मुश्किल हो रहा, बरस रही है आग।
घर के बाहर काटते, लू के काले नाग।।
लू के काले नाग, रात में भी फुफकारें।
गुस्साए आदित्य, सभी को मारे डारें।।
तर है सारी देह, निरंतर बहे पसीना।
पारा सेंतालीस, बड़ा मुश्किल है जीना।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#risingsun

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