✍️आज की डायरी✍️
✍️क्या पता...✍️
कहाँ ख़त्म हो जाये ये सफ़र क्या पता ,
ज़िन्दगी को कब लग जाये नज़र क्या पता ।
कहने की बात है ताउम्र है जीने को ,
कौन सा रोग कब बरसा दे क़हर क्या पता ।।
ज़िन्दगी को कब लग जाये नज़र क्या पता ...(१)
ख़ुशनुमा पल जो मिले खुल के जी लो तुम,
अपने ख़्वाब पूरे करने की कोशिश करो तुम,
न जाने कब ग़म बना ले हमसफ़र क्या पता ।।
ज़िन्दगी को कब लग जाये नज़र क्या पता...(२)
हवा के रुख के साथ चलना सीखना होगा ,
गिरकर भी एकबार फ़िर से सम्हलना होगा ,
न जाने कहाँ हो जाये शाम-ए-शहर क्या पता ।।
ज़िन्दगी को कब लग जाये नज़र क्या पता ...(३)
✍️नीरज✍️
©डॉ राघवेन्द्र
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here