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एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... गली चाहे इश्क की हो या बनारस की गुरु अगर फंस गए तो निकलना मुस्किल होगा सोचलो ©Error

#शायरी  एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... गली चाहे इश्क की हो या बनारस की 
गुरु अगर फंस गए तो निकलना मुस्किल होगा सोचलो

©Error

एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... गली चाहे इश्क की हो या बनारस की गुरु अगर फंस गए तो निकलना मुस्किल होगा सोचलो ©Error

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एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... वो चाहता है मुझे हकीकत है इस बात में, लेकिन मुझसे कम चाहता है झूठ ये भी नहीं।। f ©Safarsukoonka

#शायरी  एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... वो चाहता है मुझे हकीकत है इस बात में,
लेकिन मुझसे कम चाहता है झूठ ये भी नहीं।।











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©Safarsukoonka

एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... वो चाहता है मुझे हकीकत है इस बात में, लेकिन मुझसे कम चाहता है झूठ ये भी नहीं।। f ©Safarsukoonka

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एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... हम देखते रहे राह उनकी , और शाम की फ़िर से सुबह हो चली.. हम बैठे रहे उनकी गली.. समझ नहीं आया , किस खता की ऐसी सजा मिली..!! ©Kumar Gagan

 एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली...  हम देखते रहे राह उनकी , और शाम की फ़िर से सुबह हो चली..
 हम बैठे रहे उनकी गली..
 समझ नहीं आया , किस खता की ऐसी सजा मिली..!!

©Kumar Gagan

एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... जिस रोड पर आप चल रहे हो। वो आपको पसंद नहीं, तो आप नया रास्ता बनाये चीजे बदलने का इंतज़ार न करें। . ©Nirbhay Mishra AAP

 एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... जिस रोड पर आप चल रहे हो।           
वो आपको पसंद नहीं,     







 
    
                           तो आप नया रास्ता बनाये
                  चीजे बदलने का इंतज़ार न करें।







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©Nirbhay Mishra AAP

एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... जिस रोड पर आप चल रहे हो। वो आपको पसंद नहीं, तो आप नया रास्ता बनाये चीजे बदलने का इंतज़ार न करें। . ©Nirbhay Mishra AAP

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एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... बचपन भी कितना सुन्दर था ना डर ना भय कही भी आती थी कहीं भी जाती थीं हमेशा मुस्कुराती थी वो शाम की रोशन सी गलियां वो यादों के समुन्दर सभी बहुत खुबसूरत था उस नदी के किनारे बैठकर पानी में पत्थर फेंकना सब कुछ कितना सुन्दर था वो बचपन के दोस्तों के साथ साईकिल पर घूमने निकल जाना फिर शाम को घर आना फिर मम्मी और पापा कि डांट सुनना सब कुछ बहुत अच्छा था पर एक वक्त ऐसा आया कि अब तो ना कोई संगी साथी है ना कोई नदी का किनारा है ना साईकिल हैं ना कहीं घूमने जाना है अब तों मम्मी, पापा भी नहीं डांटते ना जाने कहां चलें गये वो दिन कितना सुन्दर था वो बचपन ©Priyanka

#Merikalamse✍️  एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... बचपन भी कितना सुन्दर था ना डर ना भय कही भी आती थी कहीं भी जाती थीं हमेशा मुस्कुराती थी वो शाम की रोशन सी गलियां वो यादों के समुन्दर सभी बहुत खुबसूरत था उस नदी के किनारे बैठकर पानी में पत्थर फेंकना सब कुछ कितना सुन्दर था वो बचपन के दोस्तों के साथ साईकिल पर घूमने निकल जाना फिर शाम को घर आना फिर मम्मी और पापा कि डांट सुनना सब कुछ बहुत अच्छा था पर एक वक्त ऐसा आया कि अब तो ना कोई संगी साथी है ना कोई नदी का किनारा है ना साईकिल हैं ना कहीं घूमने जाना है अब  तों मम्मी, पापा भी नहीं डांटते ना जाने कहां चलें गये वो दिन कितना सुन्दर था वो बचपन

©Priyanka

एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... इस दुनिया की सोचे बिना मैं अपनी राह पे चली... भावना वैष्णव

#शायरी  एक शाम थी ढली,  रोशन थी गली... इस दुनिया की सोचे बिना
मैं अपनी राह पे चली...

                    भावना वैष्णव

एक शाम थी ढली, रोशन थी गली... इस दुनिया की सोचे बिना मैं अपनी राह पे चली... भावना वैष्णव

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