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परख़ से कब ज़ाहिर हुयी शख़्सियत किसी की..हम तो बस उन्हीं के हैं जिन्हें हम पर यकीन है..!!
जब भी मिलूंगी तो तेरी बाँहों में बिख़र जाउंगी तेरी रूह में समां के कुछ यूँ मैं निख़र जाउंगी..!! ©the unsaid arpita
the unsaid arpita
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ज़िंदगी के अंधेरों में वो चाँद बन के आया है पा कर उसे लगता है हमें जैसे सारे जहाँ को पाया.. महक उठा है मेरा जहाँ महक उठी हैं बहारें छाया है एक अलग ही नशा जब से वो करीब आया है.. हर बात उसी से शुरू और ख़त्म भी उस ही पर मेरे ख़्वाबों ख़यालों पर इस तरह से वो छाया है.. ©the unsaid arpita
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बड़ा ही कठिन है ये उल्फ़त का सफ़र ना छोड़ोगे कभी साथ ये आज क़सम दे दो हो ही जाता है हर किसी पे मौसम का असर ना बदलेगा तुम्हारा मिज़ाज़ ये आज क़सम दे दो सिमट गई है मेरी ज़िंदगी सिर्फ तुम तक तेरी बाहें होंगी मेरा सहारा ये आज कसम दे दो रखेंगे ना हम कोई कसर बाकी निभाओगे तुम भी आख़री दम तक ये आज क़सम दे दो ©the unsaid arpita
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कितने दरीचे ख़्वाबों के एक साथ खुल गए क्या जाने किसने दूर से आवाज़ दी मुझे..!! ©the unsaid arpita
कल यही ख़्वाब हक़ीक़त में बदल जायेंगे आज जो ख़्वाब फ़क़त ख़्वाब नज़र आते हैं..!! ©the unsaid arpita
मौत तो दोस्त है एक आवाज़ पे खींची चली आएगी दुश्मनी तो ज़िंदगी निभा रही है..!! ©the unsaid arpita
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