तू अपने अंधेरे से निकल, मैं मेरे अहम से उठू
तो ज़िंदगी हो जाए खूबसूरत दोनों के लिए
तनहाई के गीत ही क्यू,भीड़ का शोर भी हो
प्यार से उबक गया दिल, नफ़रत भी भरपूर हो
रोते रोते यार मेरे तुम हसना सीख ही जावोगे
घर से चले चलो तुम पहले, पोहंच कही तो जावोगे !
दूर तक चले यूहीं बेवजह,तू तेरा खयाल छोड़
मैं, मैं भी ना करू,बस चलते जाए
ना बात हो,ना सिर्फ ख़ामोशी हो
हम चुप हो,बस नजारे बोलते जाए
एक दिन अलग होना सबसे
चलो इन पेड़ों पहाड़ों से गले मिलते जाए
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