_झूठे लोग _
ना जाने कैसे झूठी मुस्कान, मुस्कुरा लेते है लोग,
अपनी मीठी बातो मे फसा लेते है लोग,
करके सौदा जज्बातों का, एहसासो से खेलते है लोग,
निकाल कर छुरा अपना, पीछे से खुसा देते है लोग,
अपनेपन का दिखाबा करके, अपना बनाते है लोग,
गिरा कर निचे फिर, औकात दिखाते है लोग,
करके वादा अपना, मुकर जाते है लोग,
बीच रहा मे तड़पता, छोड़ जाते है लोग,
दर्द देख किसी का, मुस्कुराते है लोग
उसी समाज मे रह कर, समाज को गन्दा बताते है लोग,
उड़ा खिल्ली ग़रीबी की, अपने को ऊंचा दिखाते है लोग,
जा जा कर बारातो मे, चिल्लर उठाते है लोग....
सोनू sinha_
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