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apne anubhavo ko shabdo ke jariye likhta hu.
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Profile Lalit
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ये जो रिश्ते - नातो का खेल हमने रचा है। इसीका नाम तो संतो ने स्वार्थ रखा है ।। बिना रूह के वो ही तुम्हे जलाएंगे। जो कहते है तुम मेरी जान हो, तुम्हारे बिन कैसे जी पायेंगे।। ©official lalit
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आदिपुरुष की कहानी महासन्देशा देने आयी है। सिया-राम समझ से परे है, यही बताने आयी है।। ©official lalit
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मूर्खतायो को पार करने की कहानी है। "आदिपुरुष" में मूर्खता की सीमा समा जानी है।। सत्यता को नयनों के समक्ष लायी है। उदघोष है, मानव ज्ञानी नहीं महामूर्खता की कहानी है।। ©official lalit
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