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#Brijeshgupta #nojohindi #treanding #twoliner #sad😊

Om Namah Shivaya 🙏 #Shayar #Shayari #SAD #SAD😔 #Love #twoliner #nojohindi #Brijesh #treanding #Brijeshgupta @ @muskan_dilse @Soni Joshi बाद

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आपकी अपकीर्ति हेतु षड्यंत्र आपके अपनें हीं रचते हैं । ©~आचार्य परम्‌~

#मोटिवेशनल  आपकी अपकीर्ति हेतु षड्यंत्र आपके अपनें हीं रचते हैं ।

©~आचार्य परम्‌~
#विचार #isro_day  White हार जाना वीरता है,
हार मान लेना कायरता।
प्रयत्नों को समय पर धार दें,
विजय श्री आपके कदमों होगी,या हार कर भी आप का नाम इतिहास में।

©निर्भय चौहान

#isro_day @Madhusudan Shrivastava @Sandeep Kumar Saveer @Mukesh Poonia वरुण तिवारी @Anup Joshi शुभ विचार

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#मोटिवेशनल #love_shayari  White आस्था और व्यवस्था की जंग प्राचीन है।
किंतु हर बार कालांतर में आस्था की विजय होती है।
ईश्वर के अस्तित्व का इससे बेहतर प्रमाण कुछ नही हो सकता।।

©निर्भय चौहान

#love_shayari @Vishalkumar "Vishal" @Shiv Narayan Saxena @Sandeep Kumar Saveer @Madhusudan Shrivastava @Anup Joshi 'हिंदी मोटिवेशनल कोट्स'

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#कविता #Joshi  White सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है।
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

जनता? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,
जब अंग-अंग में लगे सांप हो चूस रहे,
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली।
जनता? हाँ, वही कृषि-प्रधान गँवार देहात,
जहाँ जाति-जाति के नाम पर होते हैं घात,
जनता? हाँ, वही, अनपढ़, गुणहीन, गरिब गाँव,
जिसके पास पशु के सिवा नहीं कोई ठाँव।

सदियों से सहमी हुई बुतों की उस भीड़ पर
तरस आज आता मुझे, भरी दोपहरी में
जो नंगे पाँव चल रही है, तप्त सड़क पर,
अब भी जब कि उसकी लाश ठंडी हो चली,
ठहरी नहीं तो उसी निर्दय अंगारों पर,
जिसकी छाती में धधक रही है, आग सुलगती है,
जो अम्बारों से गुज़र रही है, विषधर साँप-सी।

सिंहासन खाली करो कि जनता आती

©आगाज़

White कैसे ज्यों के त्यों रहे, प्रेम को कैसे करे परिभाषित, कैसे बिन आलिंगन, प्रेम को रखें मर्यादित हां, मैं स्पष्टता को प्रमाणित करना चाहता हूं, परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित कोई छद्म और बिना भेद भाव, जहां सिर्फ प्रेम हो, और हो शब्दों का आभाव, जहां समझ सके सिकुड़न, माथे की हम, और अंतर्मन के पीड़ा को, मिल जाए थोड़ा ठहराव, हां! अगर किंचित मात्र भी, मन सकुचा जाए, या फिर की कोई और, हृदयतल में घर कर जाए, निरुत्तर, सांझ न होने देना, अपने नयनों को, अश्रु मगन होने देना, बस इतना ही हो, कि मैं अपना आधार बदल दूंगा, लिखे पृष्ठ प्रेम सहित, श्रृंगार बदल दूंगा, कहे वचन को फिर न, मैं धूमिल होने दूंगा, हे प्रियशी! बीज प्रेम के, मन में, फिर न बोने दूंगा, न ही स्वयं को मैं, तुम पर होने दूंगा आश्रित, न मन में प्रश्न एक भी, न तुमको खुद पर होने दूंगा आच्छादित, चलो रहे ज्यों के त्यों, और करे प्रेम को परिभाषित। ©अनुज

#love_shayari  White  कैसे ज्यों के त्यों रहे,
प्रेम को कैसे करे परिभाषित,
कैसे बिन आलिंगन,
प्रेम को रखें मर्यादित 
हां, मैं स्पष्टता को
प्रमाणित करना चाहता हूं,
परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित
कोई छद्म और बिना भेद भाव,
जहां सिर्फ प्रेम हो, और
हो शब्दों का आभाव,
जहां समझ सके सिकुड़न,
माथे की हम,
और अंतर्मन के पीड़ा को,
मिल जाए थोड़ा ठहराव,
हां! अगर किंचित मात्र भी,
मन सकुचा जाए,
या फिर की कोई और,
हृदयतल में घर कर जाए,
निरुत्तर, सांझ न होने देना,
अपने नयनों को,
अश्रु मगन होने देना,
बस इतना ही हो,
कि मैं अपना आधार बदल दूंगा,
लिखे पृष्ठ प्रेम सहित,
श्रृंगार बदल दूंगा,
कहे वचन को फिर न,
मैं धूमिल होने दूंगा,
हे प्रियशी! बीज प्रेम के,
मन में, फिर न बोने दूंगा,
न ही स्वयं को मैं,
तुम पर होने दूंगा आश्रित,
न मन में प्रश्न एक भी,
न तुमको खुद पर 
होने दूंगा आच्छादित,
चलो रहे ज्यों के त्यों,
और करे प्रेम को परिभाषित।

©अनुज

#love_shayari @Pushpvritiya @RAVISHANKAR PAL @Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

20 Love

#Brijeshgupta #nojohindi #treanding #twoliner #sad😊

Om Namah Shivaya 🙏 #Shayar #Shayari #SAD #SAD😔 #Love #twoliner #nojohindi #Brijesh #treanding #Brijeshgupta @ @muskan_dilse @Soni Joshi बाद

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आपकी अपकीर्ति हेतु षड्यंत्र आपके अपनें हीं रचते हैं । ©~आचार्य परम्‌~

#मोटिवेशनल  आपकी अपकीर्ति हेतु षड्यंत्र आपके अपनें हीं रचते हैं ।

©~आचार्य परम्‌~
#विचार #isro_day  White हार जाना वीरता है,
हार मान लेना कायरता।
प्रयत्नों को समय पर धार दें,
विजय श्री आपके कदमों होगी,या हार कर भी आप का नाम इतिहास में।

©निर्भय चौहान

#isro_day @Madhusudan Shrivastava @Sandeep Kumar Saveer @Mukesh Poonia वरुण तिवारी @Anup Joshi शुभ विचार

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#मोटिवेशनल #love_shayari  White आस्था और व्यवस्था की जंग प्राचीन है।
किंतु हर बार कालांतर में आस्था की विजय होती है।
ईश्वर के अस्तित्व का इससे बेहतर प्रमाण कुछ नही हो सकता।।

©निर्भय चौहान

#love_shayari @Vishalkumar "Vishal" @Shiv Narayan Saxena @Sandeep Kumar Saveer @Madhusudan Shrivastava @Anup Joshi 'हिंदी मोटिवेशनल कोट्स'

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#कविता #Joshi  White सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है।
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

जनता? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,
जब अंग-अंग में लगे सांप हो चूस रहे,
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली।
जनता? हाँ, वही कृषि-प्रधान गँवार देहात,
जहाँ जाति-जाति के नाम पर होते हैं घात,
जनता? हाँ, वही, अनपढ़, गुणहीन, गरिब गाँव,
जिसके पास पशु के सिवा नहीं कोई ठाँव।

सदियों से सहमी हुई बुतों की उस भीड़ पर
तरस आज आता मुझे, भरी दोपहरी में
जो नंगे पाँव चल रही है, तप्त सड़क पर,
अब भी जब कि उसकी लाश ठंडी हो चली,
ठहरी नहीं तो उसी निर्दय अंगारों पर,
जिसकी छाती में धधक रही है, आग सुलगती है,
जो अम्बारों से गुज़र रही है, विषधर साँप-सी।

सिंहासन खाली करो कि जनता आती

©आगाज़

White कैसे ज्यों के त्यों रहे, प्रेम को कैसे करे परिभाषित, कैसे बिन आलिंगन, प्रेम को रखें मर्यादित हां, मैं स्पष्टता को प्रमाणित करना चाहता हूं, परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित कोई छद्म और बिना भेद भाव, जहां सिर्फ प्रेम हो, और हो शब्दों का आभाव, जहां समझ सके सिकुड़न, माथे की हम, और अंतर्मन के पीड़ा को, मिल जाए थोड़ा ठहराव, हां! अगर किंचित मात्र भी, मन सकुचा जाए, या फिर की कोई और, हृदयतल में घर कर जाए, निरुत्तर, सांझ न होने देना, अपने नयनों को, अश्रु मगन होने देना, बस इतना ही हो, कि मैं अपना आधार बदल दूंगा, लिखे पृष्ठ प्रेम सहित, श्रृंगार बदल दूंगा, कहे वचन को फिर न, मैं धूमिल होने दूंगा, हे प्रियशी! बीज प्रेम के, मन में, फिर न बोने दूंगा, न ही स्वयं को मैं, तुम पर होने दूंगा आश्रित, न मन में प्रश्न एक भी, न तुमको खुद पर होने दूंगा आच्छादित, चलो रहे ज्यों के त्यों, और करे प्रेम को परिभाषित। ©अनुज

#love_shayari  White  कैसे ज्यों के त्यों रहे,
प्रेम को कैसे करे परिभाषित,
कैसे बिन आलिंगन,
प्रेम को रखें मर्यादित 
हां, मैं स्पष्टता को
प्रमाणित करना चाहता हूं,
परन्तु, बिना शब्दों के अनुवादित
कोई छद्म और बिना भेद भाव,
जहां सिर्फ प्रेम हो, और
हो शब्दों का आभाव,
जहां समझ सके सिकुड़न,
माथे की हम,
और अंतर्मन के पीड़ा को,
मिल जाए थोड़ा ठहराव,
हां! अगर किंचित मात्र भी,
मन सकुचा जाए,
या फिर की कोई और,
हृदयतल में घर कर जाए,
निरुत्तर, सांझ न होने देना,
अपने नयनों को,
अश्रु मगन होने देना,
बस इतना ही हो,
कि मैं अपना आधार बदल दूंगा,
लिखे पृष्ठ प्रेम सहित,
श्रृंगार बदल दूंगा,
कहे वचन को फिर न,
मैं धूमिल होने दूंगा,
हे प्रियशी! बीज प्रेम के,
मन में, फिर न बोने दूंगा,
न ही स्वयं को मैं,
तुम पर होने दूंगा आश्रित,
न मन में प्रश्न एक भी,
न तुमको खुद पर 
होने दूंगा आच्छादित,
चलो रहे ज्यों के त्यों,
और करे प्रेम को परिभाषित।

©अनुज

#love_shayari @Pushpvritiya @RAVISHANKAR PAL @Divya Joshi Sudha Tripathi Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"

20 Love

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