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New नमाज़े जनाज़ा की नियत Status, Photo, Video

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White सबसे ज्यादा सही क्या है... इंसान या.. इंसानियत मेहनत या .......नियत धर्म या धर्म ...का ज्ञान ज़मीन या .. आसमान ©neelu

#इंसानियत #ज्यादा #मेहनत #इंसान #ज्ञान #diwali_wishes  White सबसे ज्यादा सही क्या है...
इंसान या.. इंसानियत
मेहनत या .......नियत
धर्म या धर्म ...का ज्ञान
ज़मीन या  ..   आसमान

©neelu

#diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है... #इंसान या.. #इंसानियत #मेहनत या .......#नियत धर्म या धर्म ...का #ज्ञान ज़मीन या .. आसमान

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ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है। तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है। ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ, तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey

#मुकेशगोगडे #क़ायनात #नियत #ज़हन  ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है।
तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है।
ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ,
तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है।
         मुकेश गोगड़े

©kavi mukesh gogdey

White एक पल में जिंदगी, क्या से क्या हो जाती है, बेरंग होकर भी ये, कुछ रंग नए दिखलाती है, निकल पड़ती है ये, अंधेरों से उजाले की ओर, बुझी हुई आँखों में, कुछ ख्वाब नए दे जाती है, बदलती है स्वरूप ये, एक नियत समय पर, किस्मत से ज्यादा, कभी कहाँ कुछ दे पाती है, कभी दे जाती है दिल पर, कुछ ज़ख्म काँटों से, एक पल में जिंदगी, फूलों का हार बन जाती है, हर शय का कुदरत ने, नियत समय लिख रखा है, वक़्त की ये, एक एक घड़ी आज़माती है, उधेड़ देती है ज़ख्म यादों के, चंद ही पलों में, उन ज़ख्मों का लेप भी, ये ख़ुद ही लगाती है।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#नोजोटोहिंदी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #जिंदगी #नियत  White  एक पल में जिंदगी, क्या से क्या हो जाती है,
बेरंग होकर भी ये, कुछ रंग नए दिखलाती है,

निकल पड़ती है ये, अंधेरों से उजाले की ओर,
बुझी हुई आँखों में, कुछ ख्वाब नए दे जाती है,

बदलती है स्वरूप ये, एक   नियत  समय पर,
किस्मत से ज्यादा, कभी कहाँ कुछ दे पाती है,

कभी दे जाती है दिल पर, कुछ ज़ख्म काँटों से,
एक पल में जिंदगी, फूलों का हार बन जाती है,

हर शय का कुदरत ने, नियत समय लिख रखा है,
वक़्त की ये,    एक    एक     घड़ी आज़माती है,

उधेड़   देती   है  ज़ख्म यादों के, चंद ही पलों में,
उन  ज़ख्मों  का  लेप  भी, ये  ख़ुद ही लगाती है।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White नियत ही नियति हैं।। ©Updated Mirzapuri

#नियति #नियत #Bhakti #Shiva  White नियत ही नियति हैं।।

©Updated Mirzapuri

लहज़े बता देते है इंसान की नियत 👧👧........ sad shayari 2 line love shayari in english @Sm@rty Divi P@ndey "सीमा"अमन सिंह @Neel भुट कुन

1,278 View

White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है बहार आने की सूरत निकल भी सकती है जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़ भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है ©Sagar Sheikhpura

#नियत  White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है
बहार आने की सूरत निकल भी सकती है

जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो
वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है

है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए
तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है

ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़
भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है

अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का 
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं 

कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे
सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है

©Sagar Sheikhpura

#नियत

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White सबसे ज्यादा सही क्या है... इंसान या.. इंसानियत मेहनत या .......नियत धर्म या धर्म ...का ज्ञान ज़मीन या .. आसमान ©neelu

#इंसानियत #ज्यादा #मेहनत #इंसान #ज्ञान #diwali_wishes  White सबसे ज्यादा सही क्या है...
इंसान या.. इंसानियत
मेहनत या .......नियत
धर्म या धर्म ...का ज्ञान
ज़मीन या  ..   आसमान

©neelu

#diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है... #इंसान या.. #इंसानियत #मेहनत या .......#नियत धर्म या धर्म ...का #ज्ञान ज़मीन या .. आसमान

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ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है। तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है। ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ, तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey

#मुकेशगोगडे #क़ायनात #नियत #ज़हन  ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है।
तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है।
ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ,
तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है।
         मुकेश गोगड़े

©kavi mukesh gogdey

White एक पल में जिंदगी, क्या से क्या हो जाती है, बेरंग होकर भी ये, कुछ रंग नए दिखलाती है, निकल पड़ती है ये, अंधेरों से उजाले की ओर, बुझी हुई आँखों में, कुछ ख्वाब नए दे जाती है, बदलती है स्वरूप ये, एक नियत समय पर, किस्मत से ज्यादा, कभी कहाँ कुछ दे पाती है, कभी दे जाती है दिल पर, कुछ ज़ख्म काँटों से, एक पल में जिंदगी, फूलों का हार बन जाती है, हर शय का कुदरत ने, नियत समय लिख रखा है, वक़्त की ये, एक एक घड़ी आज़माती है, उधेड़ देती है ज़ख्म यादों के, चंद ही पलों में, उन ज़ख्मों का लेप भी, ये ख़ुद ही लगाती है।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#नोजोटोहिंदी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #जिंदगी #नियत  White  एक पल में जिंदगी, क्या से क्या हो जाती है,
बेरंग होकर भी ये, कुछ रंग नए दिखलाती है,

निकल पड़ती है ये, अंधेरों से उजाले की ओर,
बुझी हुई आँखों में, कुछ ख्वाब नए दे जाती है,

बदलती है स्वरूप ये, एक   नियत  समय पर,
किस्मत से ज्यादा, कभी कहाँ कुछ दे पाती है,

कभी दे जाती है दिल पर, कुछ ज़ख्म काँटों से,
एक पल में जिंदगी, फूलों का हार बन जाती है,

हर शय का कुदरत ने, नियत समय लिख रखा है,
वक़्त की ये,    एक    एक     घड़ी आज़माती है,

उधेड़   देती   है  ज़ख्म यादों के, चंद ही पलों में,
उन  ज़ख्मों  का  लेप  भी, ये  ख़ुद ही लगाती है।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey

White नियत ही नियति हैं।। ©Updated Mirzapuri

#नियति #नियत #Bhakti #Shiva  White नियत ही नियति हैं।।

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लहज़े बता देते है इंसान की नियत 👧👧........ sad shayari 2 line love shayari in english @Sm@rty Divi P@ndey "सीमा"अमन सिंह @Neel भुट कुन

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White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है बहार आने की सूरत निकल भी सकती है जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़ भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है ©Sagar Sheikhpura

#नियत  White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है
बहार आने की सूरत निकल भी सकती है

जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो
वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है

है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए
तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है

ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़
भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है

अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का 
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं 

कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे
सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है

©Sagar Sheikhpura

#नियत

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