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New हरसिंगार पर कविता Status, Photo, Video

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मां की ममता और पिता की मेहनत ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना, हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना। रातों को जागकर लोरी सुनाती है, खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है। हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है, ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है। और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना, हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना। पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना, अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना। खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता, वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता। ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती, मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती। दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए, माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #maaPapa  मां की ममता और पिता की मेहनत

ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना,
हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना।
रातों को जागकर लोरी सुनाती है,
खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है।
हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है,
ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है।

और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना,
हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना।
पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना,
अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना।
खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता,
वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता।

ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती,
मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती।
दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए,
माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए

©Writer Mamta Ambedkar

#maaPapa प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता

10 Love

White #हरसिंगार  शरद रात की आगोश में  फिर हरसिंगार मुस्कुराया है  झिलमिल करती इनकी कलियां  सुगंध कितना फैलाया है  ओस की बूंदों में लिपटी  जैसे कोई अल्हड़ बाला अंगारे सी इसकी डंठल  जैसे प्रीत की ज्वाला  बिखर जाती धरा पर ऐसे  जैसे बिखरी हो ज्योति  राह तकते प्रियतम की आंसुओ की मोती  अंजूरी में भर कर किसी के  देवालय के प्रांगण तक जाएगी  गूंथ माला में कलियों के संग देवी के गले में खिलखिलाएगी  भाग्य बड़ा है इसका भी  पावन‌ ऋतु में आती है  चढ़ कर मां के चरणों में  भाग्य पर इतराती है  महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार  औषधि की है भंडार  तभी तो सभी करते इतना प्यार ©Savita Suman

#हरसिंगार  #हरसिंगार #कविता #love_shayari  White #हरसिंगार 

शरद रात की आगोश में 

फिर हरसिंगार मुस्कुराया है 

झिलमिल करती इनकी कलियां 

सुगंध कितना फैलाया है 

ओस की बूंदों में लिपटी 

जैसे कोई अल्हड़ बाला

अंगारे सी इसकी डंठल 

जैसे प्रीत की ज्वाला 

बिखर जाती धरा पर ऐसे 

जैसे बिखरी हो ज्योति 

राह तकते प्रियतम की

आंसुओ की मोती 

अंजूरी में भर कर किसी के 

देवालय के प्रांगण तक जाएगी 

गूंथ माला में कलियों के संग

देवी के गले में खिलखिलाएगी 

भाग्य बड़ा है इसका भी 

पावन‌ ऋतु में आती है 

चढ़ कर मां के चरणों में 

भाग्य पर इतराती है 

महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार 

औषधि की है भंडार 

तभी तो सभी करते इतना प्यार

©Savita Suman

White #हरसिंगार शरद रात की आगोश में फिर हरसिंगार मुस्कुराया है झिलमिल करती इनकी कलियां सुगंध कितना फैलाया है ओस की बूंदों में लिपटी जैसे कोई अल्हड़ बाला अंगारे सी इसकी डंठल जैसे प्रीत की ज्वाला बिखर जाती धरा पर ऐसे जैसे बिखरी हो ज्योति राह तकते प्रियतम की आंसुओ की मोती अंजूरी में भर कर किसी के देवालय के प्रांगण तक जाएगी गूंथ माला में कलियों के संग देवी के गले में खिलखिलाएगी भाग्य बड़ा है इसका भी पावन‌ ऋतु में आती है चढ़ कर मां के चरणों में भाग्य पर इतराती है महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार औषधि की है भंडार तभी तो सभी करते इतना प्यार ©Savita Suman

#हरसिंगार #कविता #love_shayari  White #हरसिंगार 
शरद रात की आगोश में 
फिर हरसिंगार मुस्कुराया है 
झिलमिल करती इनकी कलियां 
सुगंध कितना फैलाया है 
ओस की बूंदों में लिपटी 
जैसे कोई अल्हड़ बाला
अंगारे सी इसकी डंठल 
जैसे प्रीत की ज्वाला 
बिखर जाती धरा पर ऐसे 
जैसे बिखरी हो ज्योति 
राह तकते प्रियतम की
आंसुओ की मोती 
अंजूरी में भर कर किसी के 
देवालय के प्रांगण तक जाएगी 
गूंथ माला में कलियों के संग
देवी के गले में खिलखिलाएगी 
भाग्य बड़ा है इसका भी 
पावन‌ ऋतु में आती है 
चढ़ कर मां के चरणों में 
भाग्य पर इतराती है 
महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार 
औषधि की है भंडार 
तभी तो सभी करते इतना प्यार

©Savita Suman

सुनो हरसिंगार है एक सवाल वैसी क्यों हो तुम जैसे और सब नही जैसे हैं ये सब तुम वैसी क्यों नहीं और भी तो फूल है खेलते है खिलते है डालियों पर टिकते है जब तक तोड़ें नही जाते डाली छोड़ते नही पर तुम तो हो बिलकुल अलग खिल तो जाती हो पर क्यों तुम रुक नही पाती खुद ही डाली छोड़ जाती हो क्या है ऐसा की सब मोह में पड़े और तुम मोह से परे हरसिंगार क्यों हो तुम ऐसी ?? ©मिहिर

#कविता  सुनो हरसिंगार
है एक सवाल

वैसी क्यों हो तुम 
जैसे और सब नही
जैसे हैं ये सब
तुम वैसी क्यों नहीं 

और भी तो फूल है
खेलते है खिलते है
डालियों पर टिकते है
जब तक तोड़ें नही जाते 
डाली छोड़ते नही

पर तुम तो हो बिलकुल अलग 
खिल तो जाती हो
पर क्यों तुम रुक नही पाती
खुद ही डाली छोड़ जाती हो

क्या है ऐसा की
सब मोह में पड़े 
और तुम मोह से परे 

हरसिंगार क्यों हो तुम ऐसी ??

©मिहिर

हरसिंगार

15 Love

#कविता

कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

198 View

बादल जो काले छाते है, और बूँदे राग सुनाती है, जाने वो कैसा समंदर है, जो मन को मेरे डुबाती है। बरसता है जो प्यार मेरा, और दुनिया मेघ बतलाती है, अकेली कहाॅं ? ये बारिश तुम्हे भी तो साथ लाती है। ©Ritika Vijay Shrivastava

#कविता #Barsaat  बादल जो काले छाते है, और बूँदे राग सुनाती है,
जाने वो कैसा समंदर है, जो मन को मेरे डुबाती है। 
बरसता है जो प्यार मेरा, और दुनिया मेघ बतलाती है,
अकेली कहाॅं ? ये बारिश तुम्हे भी तो साथ लाती है।

©Ritika Vijay Shrivastava

#Barsaat हिंदी कविता प्रेम कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

13 Love

मां की ममता और पिता की मेहनत ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना, हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना। रातों को जागकर लोरी सुनाती है, खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है। हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है, ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है। और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना, हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना। पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना, अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना। खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता, वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता। ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती, मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती। दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए, माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #maaPapa  मां की ममता और पिता की मेहनत

ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना,
हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना।
रातों को जागकर लोरी सुनाती है,
खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है।
हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है,
ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है।

और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना,
हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना।
पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना,
अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना।
खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता,
वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता।

ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती,
मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती।
दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए,
माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए

©Writer Mamta Ambedkar

#maaPapa प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता

10 Love

White #हरसिंगार  शरद रात की आगोश में  फिर हरसिंगार मुस्कुराया है  झिलमिल करती इनकी कलियां  सुगंध कितना फैलाया है  ओस की बूंदों में लिपटी  जैसे कोई अल्हड़ बाला अंगारे सी इसकी डंठल  जैसे प्रीत की ज्वाला  बिखर जाती धरा पर ऐसे  जैसे बिखरी हो ज्योति  राह तकते प्रियतम की आंसुओ की मोती  अंजूरी में भर कर किसी के  देवालय के प्रांगण तक जाएगी  गूंथ माला में कलियों के संग देवी के गले में खिलखिलाएगी  भाग्य बड़ा है इसका भी  पावन‌ ऋतु में आती है  चढ़ कर मां के चरणों में  भाग्य पर इतराती है  महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार  औषधि की है भंडार  तभी तो सभी करते इतना प्यार ©Savita Suman

#हरसिंगार  #हरसिंगार #कविता #love_shayari  White #हरसिंगार 

शरद रात की आगोश में 

फिर हरसिंगार मुस्कुराया है 

झिलमिल करती इनकी कलियां 

सुगंध कितना फैलाया है 

ओस की बूंदों में लिपटी 

जैसे कोई अल्हड़ बाला

अंगारे सी इसकी डंठल 

जैसे प्रीत की ज्वाला 

बिखर जाती धरा पर ऐसे 

जैसे बिखरी हो ज्योति 

राह तकते प्रियतम की

आंसुओ की मोती 

अंजूरी में भर कर किसी के 

देवालय के प्रांगण तक जाएगी 

गूंथ माला में कलियों के संग

देवी के गले में खिलखिलाएगी 

भाग्य बड़ा है इसका भी 

पावन‌ ऋतु में आती है 

चढ़ कर मां के चरणों में 

भाग्य पर इतराती है 

महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार 

औषधि की है भंडार 

तभी तो सभी करते इतना प्यार

©Savita Suman

White #हरसिंगार शरद रात की आगोश में फिर हरसिंगार मुस्कुराया है झिलमिल करती इनकी कलियां सुगंध कितना फैलाया है ओस की बूंदों में लिपटी जैसे कोई अल्हड़ बाला अंगारे सी इसकी डंठल जैसे प्रीत की ज्वाला बिखर जाती धरा पर ऐसे जैसे बिखरी हो ज्योति राह तकते प्रियतम की आंसुओ की मोती अंजूरी में भर कर किसी के देवालय के प्रांगण तक जाएगी गूंथ माला में कलियों के संग देवी के गले में खिलखिलाएगी भाग्य बड़ा है इसका भी पावन‌ ऋतु में आती है चढ़ कर मां के चरणों में भाग्य पर इतराती है महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार औषधि की है भंडार तभी तो सभी करते इतना प्यार ©Savita Suman

#हरसिंगार #कविता #love_shayari  White #हरसिंगार 
शरद रात की आगोश में 
फिर हरसिंगार मुस्कुराया है 
झिलमिल करती इनकी कलियां 
सुगंध कितना फैलाया है 
ओस की बूंदों में लिपटी 
जैसे कोई अल्हड़ बाला
अंगारे सी इसकी डंठल 
जैसे प्रीत की ज्वाला 
बिखर जाती धरा पर ऐसे 
जैसे बिखरी हो ज्योति 
राह तकते प्रियतम की
आंसुओ की मोती 
अंजूरी में भर कर किसी के 
देवालय के प्रांगण तक जाएगी 
गूंथ माला में कलियों के संग
देवी के गले में खिलखिलाएगी 
भाग्य बड़ा है इसका भी 
पावन‌ ऋतु में आती है 
चढ़ कर मां के चरणों में 
भाग्य पर इतराती है 
महज फूल नहीं ये हरश्रृंगार 
औषधि की है भंडार 
तभी तो सभी करते इतना प्यार

©Savita Suman

सुनो हरसिंगार है एक सवाल वैसी क्यों हो तुम जैसे और सब नही जैसे हैं ये सब तुम वैसी क्यों नहीं और भी तो फूल है खेलते है खिलते है डालियों पर टिकते है जब तक तोड़ें नही जाते डाली छोड़ते नही पर तुम तो हो बिलकुल अलग खिल तो जाती हो पर क्यों तुम रुक नही पाती खुद ही डाली छोड़ जाती हो क्या है ऐसा की सब मोह में पड़े और तुम मोह से परे हरसिंगार क्यों हो तुम ऐसी ?? ©मिहिर

#कविता  सुनो हरसिंगार
है एक सवाल

वैसी क्यों हो तुम 
जैसे और सब नही
जैसे हैं ये सब
तुम वैसी क्यों नहीं 

और भी तो फूल है
खेलते है खिलते है
डालियों पर टिकते है
जब तक तोड़ें नही जाते 
डाली छोड़ते नही

पर तुम तो हो बिलकुल अलग 
खिल तो जाती हो
पर क्यों तुम रुक नही पाती
खुद ही डाली छोड़ जाती हो

क्या है ऐसा की
सब मोह में पड़े 
और तुम मोह से परे 

हरसिंगार क्यों हो तुम ऐसी ??

©मिहिर

हरसिंगार

15 Love

#कविता

कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

198 View

बादल जो काले छाते है, और बूँदे राग सुनाती है, जाने वो कैसा समंदर है, जो मन को मेरे डुबाती है। बरसता है जो प्यार मेरा, और दुनिया मेघ बतलाती है, अकेली कहाॅं ? ये बारिश तुम्हे भी तो साथ लाती है। ©Ritika Vijay Shrivastava

#कविता #Barsaat  बादल जो काले छाते है, और बूँदे राग सुनाती है,
जाने वो कैसा समंदर है, जो मन को मेरे डुबाती है। 
बरसता है जो प्यार मेरा, और दुनिया मेघ बतलाती है,
अकेली कहाॅं ? ये बारिश तुम्हे भी तो साथ लाती है।

©Ritika Vijay Shrivastava

#Barsaat हिंदी कविता प्रेम कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश

13 Love

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