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White मेरे देश में हैं भेष कई सभी के मन में हैं द्वेष कई, मेहनत करता यहां किसान है, अपनों से बिछड़ता हर इंसान है, स्मार्ट होने का यह युग है, लोग कहते हैं यही तो कलियुग है, धर्म का यहां शोर है, भर्म का न कोई तोड़ है, खैर समझाने के हम हकदार नहीं, अपनों से यहां कइयों को प्यार नहीं, खुले बाजार में बिकती यहां जवानी भी है, देश के लिए कुर्बान होती कहानी भी है समेटने को यहां यादें भी है, भूल जाने वाले वादे भी है। फिर भी देश यह हसीन है। ©Ajay Garg

#किसान_का_सम्मान_करो #मेरादेश #भारत🇮🇳 #quit_india_movement #विचार #भारत  White मेरे देश में हैं भेष कई
सभी के मन में हैं द्वेष कई,
मेहनत करता यहां किसान है,
अपनों से बिछड़ता हर इंसान है,
स्मार्ट होने का यह युग है,
लोग कहते हैं यही तो कलियुग है,
धर्म का यहां शोर है,
भर्म का न कोई तोड़ है,
खैर समझाने के हम हकदार नहीं,
अपनों से यहां कइयों को प्यार नहीं,
खुले बाजार में बिकती यहां जवानी भी है,
देश के लिए कुर्बान होती कहानी भी है
समेटने को यहां यादें भी है,
भूल जाने वाले वादे भी है।
फिर भी देश यह हसीन है।

©Ajay Garg
#शायरी #ना

#ना जाने कब.....

99 View

#वीडियो #भारत

#भारत मंडपम

81 View

कब तलक मेला चलेगा, फिर अकेलापन खलेगा, दिवस का अवसान होगा, सूर्य अस्ताचल ढ़लेगा, ख़त्म होंगे बाग से फल, वृक्ष भी कबतक फलेगा, बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, बर्फ पर्वत पर गलेगा, मोह में जिसके पड़े तुम, वही आकर फिर छलेगा, फूँक कर तुम छाछ पीना, तप्त हो यदि मुँह जलेगा, लाख करलो कोशिशें तुम, लिखा विधि का ना टलेगा, चूकना अवसर न 'गुंजन', हाथ फिर कबतक मलेगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #कब  कब तलक मेला चलेगा, 
फिर अकेलापन खलेगा,

दिवस का अवसान होगा, 
सूर्य   अस्ताचल   ढ़लेगा,

ख़त्म होंगे  बाग से फल, 
वृक्ष भी कबतक फलेगा,

बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, 
बर्फ  पर्वत  पर  गलेगा,

मोह में जिसके पड़े तुम, 
वही आकर फिर छलेगा,

फूँक कर तुम छाछ पीना, 
तप्त हो यदि  मुँह जलेगा,

लाख करलो कोशिशें तुम, 
लिखा विधि का ना टलेगा,

चूकना  अवसर न 'गुंजन',
हाथ फिर कबतक मलेगा,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#कब तलक मेला चलेगा#

13 Love

भारतवर्ष के आध्यात्मिक मूल्यों, “वसुधैव कुटुम्बकम्” जैसे दिव्य भावों, ज्ञान-आलोक,विद्या तथा योग-आयुर्वेद के प्रति सम्पूर्ण विश्व में आकर्षण और स्वीकार्यता बढ़ी है। सम्पूर्ण विश्व में अपना भारत सर्वसमर्थ और सशक्त देश बनकर उभरा है। सभी दिशाओं और क्षेत्रों में हमारे देश की प्रगति सभी को दृष्टिगोचर हो रही है। आओ ! एकजुट होकर अपने देश को अजेय, समरस, सुसम्पन्न, सुसंस्कृत और आत्मनिर्भर भारत बनाएँ । ७८वें "स्वतंत्रता दिवस" की अनेक शुभकामनाए। ©मनोज कुमार झा "मनु"

#कविता  भारतवर्ष के आध्यात्मिक मूल्यों, “वसुधैव कुटुम्बकम्” जैसे दिव्य भावों, ज्ञान-आलोक,विद्या तथा योग-आयुर्वेद के प्रति सम्पूर्ण विश्व में आकर्षण और स्वीकार्यता बढ़ी है। 
सम्पूर्ण विश्व में अपना भारत सर्वसमर्थ और सशक्त देश बनकर उभरा है। 
सभी दिशाओं और क्षेत्रों में हमारे देश की प्रगति सभी को दृष्टिगोचर हो रही है। 
आओ ! एकजुट होकर अपने  देश को अजेय, समरस, सुसम्पन्न, सुसंस्कृत और आत्मनिर्भर भारत बनाएँ । 

७८वें "स्वतंत्रता दिवस" की अनेक शुभकामनाए।

©मनोज कुमार झा "मनु"

जय भारत

13 Love

#विचार  White हम सब उस भारत के वासी है।
जहां सच्चाई सच का साथ निभाता है।
जुर्म यातना सह कर भी सच्चाई  सच।
का राह दिखाता है।

©ANSARI ANSARI

सच्चा भारत।

126 View

White मेरे देश में हैं भेष कई सभी के मन में हैं द्वेष कई, मेहनत करता यहां किसान है, अपनों से बिछड़ता हर इंसान है, स्मार्ट होने का यह युग है, लोग कहते हैं यही तो कलियुग है, धर्म का यहां शोर है, भर्म का न कोई तोड़ है, खैर समझाने के हम हकदार नहीं, अपनों से यहां कइयों को प्यार नहीं, खुले बाजार में बिकती यहां जवानी भी है, देश के लिए कुर्बान होती कहानी भी है समेटने को यहां यादें भी है, भूल जाने वाले वादे भी है। फिर भी देश यह हसीन है। ©Ajay Garg

#किसान_का_सम्मान_करो #मेरादेश #भारत🇮🇳 #quit_india_movement #विचार #भारत  White मेरे देश में हैं भेष कई
सभी के मन में हैं द्वेष कई,
मेहनत करता यहां किसान है,
अपनों से बिछड़ता हर इंसान है,
स्मार्ट होने का यह युग है,
लोग कहते हैं यही तो कलियुग है,
धर्म का यहां शोर है,
भर्म का न कोई तोड़ है,
खैर समझाने के हम हकदार नहीं,
अपनों से यहां कइयों को प्यार नहीं,
खुले बाजार में बिकती यहां जवानी भी है,
देश के लिए कुर्बान होती कहानी भी है
समेटने को यहां यादें भी है,
भूल जाने वाले वादे भी है।
फिर भी देश यह हसीन है।

©Ajay Garg
#शायरी #ना

#ना जाने कब.....

99 View

#वीडियो #भारत

#भारत मंडपम

81 View

कब तलक मेला चलेगा, फिर अकेलापन खलेगा, दिवस का अवसान होगा, सूर्य अस्ताचल ढ़लेगा, ख़त्म होंगे बाग से फल, वृक्ष भी कबतक फलेगा, बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, बर्फ पर्वत पर गलेगा, मोह में जिसके पड़े तुम, वही आकर फिर छलेगा, फूँक कर तुम छाछ पीना, तप्त हो यदि मुँह जलेगा, लाख करलो कोशिशें तुम, लिखा विधि का ना टलेगा, चूकना अवसर न 'गुंजन', हाथ फिर कबतक मलेगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #कब  कब तलक मेला चलेगा, 
फिर अकेलापन खलेगा,

दिवस का अवसान होगा, 
सूर्य   अस्ताचल   ढ़लेगा,

ख़त्म होंगे  बाग से फल, 
वृक्ष भी कबतक फलेगा,

बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, 
बर्फ  पर्वत  पर  गलेगा,

मोह में जिसके पड़े तुम, 
वही आकर फिर छलेगा,

फूँक कर तुम छाछ पीना, 
तप्त हो यदि  मुँह जलेगा,

लाख करलो कोशिशें तुम, 
लिखा विधि का ना टलेगा,

चूकना  अवसर न 'गुंजन',
हाथ फिर कबतक मलेगा,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

#कब तलक मेला चलेगा#

13 Love

भारतवर्ष के आध्यात्मिक मूल्यों, “वसुधैव कुटुम्बकम्” जैसे दिव्य भावों, ज्ञान-आलोक,विद्या तथा योग-आयुर्वेद के प्रति सम्पूर्ण विश्व में आकर्षण और स्वीकार्यता बढ़ी है। सम्पूर्ण विश्व में अपना भारत सर्वसमर्थ और सशक्त देश बनकर उभरा है। सभी दिशाओं और क्षेत्रों में हमारे देश की प्रगति सभी को दृष्टिगोचर हो रही है। आओ ! एकजुट होकर अपने देश को अजेय, समरस, सुसम्पन्न, सुसंस्कृत और आत्मनिर्भर भारत बनाएँ । ७८वें "स्वतंत्रता दिवस" की अनेक शुभकामनाए। ©मनोज कुमार झा "मनु"

#कविता  भारतवर्ष के आध्यात्मिक मूल्यों, “वसुधैव कुटुम्बकम्” जैसे दिव्य भावों, ज्ञान-आलोक,विद्या तथा योग-आयुर्वेद के प्रति सम्पूर्ण विश्व में आकर्षण और स्वीकार्यता बढ़ी है। 
सम्पूर्ण विश्व में अपना भारत सर्वसमर्थ और सशक्त देश बनकर उभरा है। 
सभी दिशाओं और क्षेत्रों में हमारे देश की प्रगति सभी को दृष्टिगोचर हो रही है। 
आओ ! एकजुट होकर अपने  देश को अजेय, समरस, सुसम्पन्न, सुसंस्कृत और आत्मनिर्भर भारत बनाएँ । 

७८वें "स्वतंत्रता दिवस" की अनेक शुभकामनाए।

©मनोज कुमार झा "मनु"

जय भारत

13 Love

#विचार  White हम सब उस भारत के वासी है।
जहां सच्चाई सच का साथ निभाता है।
जुर्म यातना सह कर भी सच्चाई  सच।
का राह दिखाता है।

©ANSARI ANSARI

सच्चा भारत।

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