#NetajiSubhasChandraBose पराक्रम दिवस है आज पराक्रमी की याद में,
सारे शब्द बोने हैं तेरी महिमा के नाद में।
ग्यारह बार जेल गए थे,
फिर भी आजाद हिंद फौज के नेता थे।
जोश, जुनून और हिम्मत के अलौकिक प्रणेता थे।।
नाम से ही नहीं वे तो नेतृत्व से बोस थे,
"तुम मुझे खून दो" जैसे ज्वलंत उनके उद्घोष थे।
कसर न छोड़ी अंग्रेजों की नींव हिलाने में,
अदम्य साहस भरा था उस परवाने में।
आप ने दिया देश को अमर "जय हिंद" का नारा,
इसके बल पर आज अखंड और एक है भारत सारा।
आदर्श स्थापित किया स्वतंत्रता और भारतीयता का,
ना दबा, न झुका, सीना ताने खड़ी राष्ट्रीयता का।
आज भी शायद वे हमसे कह रहे हैं,
उनकी आंखों से आंसू बह रहे हैं,
मेरे मरने का रहस्य जानने की अपेक्षा मेरे भाइयों!
मेरे जीवन के देश प्रेम और स्वाभिमान को अपनाओ,
दृश्य गुलामी से आजाद किया हमने,
अब अदृश्य गुलामी से तुम आजाद कराओ।।
©Trilok
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