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White बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं। मुनव्वर राना ©Anant Nag Chandan

 White बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है 
रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं।
मुनव्वर राना

©Anant Nag Chandan

बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं। मुनव्वर राना

15 Love

#Sad_Statusअजीब  White अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम 
 ये मंज़िलें हैं कौन सी, न वो समझ सके, न हम

©Javed Raza

#Sad_Statusअजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें हैं कौन सी, न वो समझ सके, न हम

2,187 View

White क़दम बाद में रक्खें पहले निज कदमों के निशाँ रखें आग अगर होना है तो पहले ख़ुद में धुआँ रखें बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन केवल एक ही उलझन है― आँखों में यदि तुम्हें रखें तो नीद और सपने कहाँ रखें? ©Ghumnam Gautam

#ghumnamgautam #कहाँ #sad_shayari #Quotes  White क़दम बाद में रक्खें पहले निज कदमों के निशाँ रखें
आग अगर होना है तो पहले ख़ुद में धुआँ रखें
बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन केवल एक ही उलझन है―
आँखों में यदि तुम्हें रखें तो नीद और सपने कहाँ रखें?

©Ghumnam Gautam
#जाएँ  White 
जाएँ तो जाएँ कहाँ, नहीं कहीं भी ठौर।
कोई नहिं अपना यहां, है स्वार्थ का दौर।।

 जाएँ तो जाएँ कहाँ, सीधे सच्चे लोग।
शैतानों के बीच रह, कष्ट रहे हैं भोग।।

जाएँ तो जाएं कहाँ, लेकर मन की बात।
कड़वी होती है बड़ी, सीधी सच्ची बात।।

धीरज होना चाहिए, बदलेंगे हालात।
जाएँ तो जाएँ कहां, सब देते आघात।।

जाएँ तो जाएँ कहाँ, अपने घर को छोड़।
रूठ गये हमसे सभी,चल रहे मुंह मोड़।।

बैठे हैं चुपचाप हम, आई किसकी याद।
जाएँ तो जाएँ कहाँ, सुने कौन फरियाद।।

स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर

©Nilam Agarwalla

#जाएँ तो जाएँ कहाँ

90 View

#Quotes  White पत्थर दिल समझ लिया....................
मुझे............!
उसको कहाँ पता.......!!
पत्थरों से नादियां बहती है......

©Rameshkumar Mehra Mehra

# पत्थर दिल समझ लिया,मुझे,उसको कहाँ पता,पत्थरों से नादियां बहती है......

225 View

#sad_shayari  White 
कहाँ तलाशूँ में सुकून…

कहाँ तलाशूँ में सुकून ,
सुकून की तलाश में कभी-कभी,
मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ ।

कभी-कभी दौड़ पड़ता हूँ ,
अकेला किसी ख़ाली सुनसान रोड पर ,
मोह कुछ पल के लिए जब ,
मैं इस संसार से तोड़ देता हूँ ।

मुझे प्रकृति से प्यार हो गया है जैसे ,
मुझे संगीत से लगाव हो गया है जैसे,
मुझे तालाबों, पोखरों ,
के पास बैठना अच्छा लगने लगा है ।

जब देखता हूँ लोगों के दोहरे स्वभाव को ,
एक में प्यार , दूसरे में ईर्ष्या का भाव को ,
मुझे ख़ुद से प्यार करने के सिवा ,
नहीं लोगों का साथ सच्चा लगने लगा है ।

मैं नहीं करता बहस लोगों से अब,
वो जैसा सोचे मेरे बारे में,
मैं वैसा उनकी सोच पर उन्हें छोड़ देता हूँ ।

कहाँ तलाशूँ में सुकून ,
सुकून की तलाश में कभी-कभी,
मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ ।

©Ravindra Singh

कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari

126 View

White बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं। मुनव्वर राना ©Anant Nag Chandan

 White बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है 
रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं।
मुनव्वर राना

©Anant Nag Chandan

बोझ उठाना शौक कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते-रहते स्टेशन पर लोग कुली हो जाते हैं। मुनव्वर राना

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#Sad_Statusअजीब  White अजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम 
 ये मंज़िलें हैं कौन सी, न वो समझ सके, न हम

©Javed Raza

#Sad_Statusअजीब दास्ताँ है ये, कहाँ शुरू, कहाँ ख़तम ये मंज़िलें हैं कौन सी, न वो समझ सके, न हम

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White क़दम बाद में रक्खें पहले निज कदमों के निशाँ रखें आग अगर होना है तो पहले ख़ुद में धुआँ रखें बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन केवल एक ही उलझन है― आँखों में यदि तुम्हें रखें तो नीद और सपने कहाँ रखें? ©Ghumnam Gautam

#ghumnamgautam #कहाँ #sad_shayari #Quotes  White क़दम बाद में रक्खें पहले निज कदमों के निशाँ रखें
आग अगर होना है तो पहले ख़ुद में धुआँ रखें
बाक़ी सब तो ठीक है लेकिन केवल एक ही उलझन है―
आँखों में यदि तुम्हें रखें तो नीद और सपने कहाँ रखें?

©Ghumnam Gautam
#जाएँ  White 
जाएँ तो जाएँ कहाँ, नहीं कहीं भी ठौर।
कोई नहिं अपना यहां, है स्वार्थ का दौर।।

 जाएँ तो जाएँ कहाँ, सीधे सच्चे लोग।
शैतानों के बीच रह, कष्ट रहे हैं भोग।।

जाएँ तो जाएं कहाँ, लेकर मन की बात।
कड़वी होती है बड़ी, सीधी सच्ची बात।।

धीरज होना चाहिए, बदलेंगे हालात।
जाएँ तो जाएँ कहां, सब देते आघात।।

जाएँ तो जाएँ कहाँ, अपने घर को छोड़।
रूठ गये हमसे सभी,चल रहे मुंह मोड़।।

बैठे हैं चुपचाप हम, आई किसकी याद।
जाएँ तो जाएँ कहाँ, सुने कौन फरियाद।।

स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर

©Nilam Agarwalla

#जाएँ तो जाएँ कहाँ

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#Quotes  White पत्थर दिल समझ लिया....................
मुझे............!
उसको कहाँ पता.......!!
पत्थरों से नादियां बहती है......

©Rameshkumar Mehra Mehra

# पत्थर दिल समझ लिया,मुझे,उसको कहाँ पता,पत्थरों से नादियां बहती है......

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#sad_shayari  White 
कहाँ तलाशूँ में सुकून…

कहाँ तलाशूँ में सुकून ,
सुकून की तलाश में कभी-कभी,
मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ ।

कभी-कभी दौड़ पड़ता हूँ ,
अकेला किसी ख़ाली सुनसान रोड पर ,
मोह कुछ पल के लिए जब ,
मैं इस संसार से तोड़ देता हूँ ।

मुझे प्रकृति से प्यार हो गया है जैसे ,
मुझे संगीत से लगाव हो गया है जैसे,
मुझे तालाबों, पोखरों ,
के पास बैठना अच्छा लगने लगा है ।

जब देखता हूँ लोगों के दोहरे स्वभाव को ,
एक में प्यार , दूसरे में ईर्ष्या का भाव को ,
मुझे ख़ुद से प्यार करने के सिवा ,
नहीं लोगों का साथ सच्चा लगने लगा है ।

मैं नहीं करता बहस लोगों से अब,
वो जैसा सोचे मेरे बारे में,
मैं वैसा उनकी सोच पर उन्हें छोड़ देता हूँ ।

कहाँ तलाशूँ में सुकून ,
सुकून की तलाश में कभी-कभी,
मैं अपना रुख़ जंगलों की ओर मोड़ देता हूँ ।

©Ravindra Singh

कहाँ तलाशूँ में सुकून… #sad_shayari

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