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White राधा नहीं रही कान्हा के पीछे गोविन्दा राधा को हरदम रिझाते बंशी की मधुर तान राधा पुकारे चंदा की चांदनी राधा से चमके ©Anuradha Priyadarshini

#कविता  White राधा  नहीं रही  कान्हा  के  पीछे 
गोविन्दा राधा को  हरदम रिझाते

बंशी की  मधुर तान  राधा पुकारे
चंदा की चांदनी  राधा  से  चमके

©Anuradha Priyadarshini

# प्रेम कविता

10 Love

न उनसे जफ़ा की उम्मीद, न उनसे वफ़ा की उम्मीद, हमें तो उनकी नज़र भरी, प्यारी मुस्कान की उम्मीद। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता  न उनसे जफ़ा की उम्मीद,
न उनसे वफ़ा की उम्मीद,
हमें तो उनकी नज़र भरी,
प्यारी मुस्कान की उम्मीद।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

प्रेम कविता

13 Love

White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की तस्वीर खिंचता हूँ... मैं मुझे लिखता हूँ, पर तुम्हें पढ़ता हूँ। मुझे कब परवाह रही है खुद की? मैं कब इतना सोचता हूँ? मैं मुझमे दिखता हूँ, पर तुममें रहता हूँ। बंजर जमीं को आस ज्यों इक ओस की, मैं यूँ तुम्हे देखता हूँ! मैं छूना चाहता हूँ खुद के तरन्नुम को, पर महसूस तुम्हें करता हूँ। मदहोशी! इश्क की तुम्हारी जिंदा करती है मुझे, मैं तुम्हारी यादों में धड़कता हूँ। सरगोशी में तुम्हारे आलम की, मैं सांसों में ख्याल तुम्हारा चाहता हूँ। आँखों मे आते लाल डोरे और धुँधली पड़ती नजर, फिर भी याद तुम्हें करता हूँ। मैं आईने देखता हूँ, पर अक्स में तुमको पाता हूँ। ख्वाबों को तुम्हारा पता मालूम है, मैं तो तुम्हे सोच के बस खो जाता हूँ। होशजदा होके तुमको ढूंढता हूँ, फिर बिस्तर पे बनी सलवटें देख मुस्कुराता हूँ। बेजार है ये आजादी लगती मुझको, मैं तो कैद होना चाहता हूँ। खुद से टूटकर...कहीं तुमसे जुड़ना चाहता हूँ। धड़कने और सांसे तो नाम है तुम्हारे, लेकिन इक कमी है...मैं तो हर लम्हें में तुम्हारा जिक्र चाहता हूँ। फकत बदहवास करता है ये बाजार मुझको, मैं सिर्फ तुममें उलझा रहना चाहता हूँ। ये उम्र तुम्हारे इश्क में बसर चाहता हूँ। तुमसे मिलती खुशियों की गरज कम नही होती, पर मैं तुम्हारे गम भी चाहता हूँ। तुमसे तो हँसी मिली ही है...जो आँसूं गिरे आंखों से तो उन कतरों से नाम तुम्हारा लिखना चाहता हूँ, जो मुहब्बत सरफरोशी सी कभी, मैं एकमुश्त मरना चाहता हूँ। मैं मुझको कर के फना! तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ, क्योंकि मैं तो बस तुम्हे चाहता हूँ! बस तुम्हे ही चाहता हूँ।। -✍️अभिषेक यादव ©Abhishek Yadav

#कविता #love_shayari  White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की 
तस्वीर खिंचता हूँ... मैं मुझे लिखता हूँ,
पर तुम्हें पढ़ता हूँ।

मुझे कब परवाह रही है खुद की?
मैं कब इतना सोचता हूँ?
मैं मुझमे दिखता हूँ, पर तुममें रहता हूँ।

बंजर जमीं को आस ज्यों इक ओस की, मैं यूँ तुम्हे देखता हूँ! 
मैं छूना चाहता हूँ खुद के तरन्नुम को,
पर महसूस तुम्हें करता हूँ।

मदहोशी! इश्क की तुम्हारी जिंदा करती है मुझे, 
मैं तुम्हारी यादों में धड़कता हूँ।
सरगोशी में तुम्हारे आलम की, मैं सांसों में ख्याल तुम्हारा चाहता हूँ।

आँखों मे आते लाल डोरे और धुँधली पड़ती नजर, 
फिर भी याद तुम्हें करता हूँ।
मैं आईने देखता हूँ, पर अक्स में तुमको पाता हूँ।

ख्वाबों को तुम्हारा पता मालूम है, 
मैं तो तुम्हे सोच के बस खो जाता हूँ।
होशजदा होके तुमको ढूंढता हूँ, फिर बिस्तर पे बनी सलवटें देख मुस्कुराता हूँ।

बेजार है ये आजादी लगती मुझको,
मैं तो कैद होना चाहता हूँ।
खुद से टूटकर...कहीं तुमसे जुड़ना चाहता हूँ।
धड़कने और सांसे तो नाम है तुम्हारे, लेकिन इक कमी है...मैं तो हर लम्हें में तुम्हारा जिक्र चाहता हूँ।

फकत बदहवास करता है ये बाजार मुझको, मैं सिर्फ तुममें उलझा रहना चाहता हूँ।
ये उम्र तुम्हारे इश्क में बसर चाहता हूँ।
तुमसे मिलती खुशियों की गरज कम नही होती, पर मैं तुम्हारे गम भी चाहता हूँ।

तुमसे तो हँसी मिली ही है...जो आँसूं गिरे आंखों से तो उन कतरों से नाम तुम्हारा लिखना चाहता हूँ, 
जो मुहब्बत सरफरोशी सी कभी, मैं एकमुश्त मरना चाहता हूँ।

मैं मुझको कर के फना!
तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ,
क्योंकि मैं तो बस तुम्हे चाहता हूँ! बस तुम्हे ही चाहता हूँ।।
     -✍️अभिषेक यादव

©Abhishek Yadav

#love_shayari प्रेम कविता

12 Love

#कविता  गुलाब की हर पंख में छिपी है वेसुमार मुहब्बत 
इसलिए हर आशिक करतें हैं इसकी इबादत 
फुल जैसी नाजुक होती है हर प्रेम कहानी 
मिलते हैं एक दिवाना और एक दिवानी 
खो जाते हैं खुद में जैसे मिला हो जन्नत 
चाहे जमाना कुछ कहे उनको लगता है सब खुबसूरत।
यही तो है प्यार करने वालों के खासियत।

©Writingworld369

प्रेम कविता

90 View

मोहलतें चादरों में लपेटकर एक भी न दी मुहब्बत मेरे नसीब में नहीं, यादें फिर क्यों दिल में दी.. कहते कि इश्क की लिबास तो दिल ही है... अरे उसे पर भी परत दर परत कजली क्यों लगा दी...! ©Dev Rishi

#कविता  मोहलतें चादरों में लपेटकर एक भी न दी 
मुहब्बत मेरे नसीब में नहीं, यादें फिर क्यों दिल में दी..
कहते कि इश्क की लिबास तो  दिल ही है...
अरे उसे पर भी परत दर परत कजली क्यों लगा दी...!

©Dev Rishi

प्रेम कविता

15 Love

#कविता #love_shayari  White माना के उम्र ढल चुकी है 
मगर दिल के किसी 
छोटे से कोने में 
शायद बचपन अभी बाकी है 
तभी तो 
बारिश की बूंदे 
शबनम के मोती की तरह 
पत्तों से ढलकती हैं 
तो मन मयूर भी नाच उठता है 
बाहों के पंख पसारे 
दूर कहीं चारदीवारी पर 
सरकते सिर हिलाते 
लाल गिरगिट को देखकर 
अनायास ही मन पूछता है 
गिरगिट गिरगिट बारिश होगी?
फिर खुद ही हंसने लगता है 
अपने इस अनसुलझे सवाल पर 
शायद अभी भी बाकी है 
दिल के किसी कोने में 
प्यारा सा बचपन 
तभी तो बाकी है 
जीने की आस 
मुस्कुराने का सामान
माना के उम्र ढल चुकी है 

नमिता स्मृति 
बोलांगीर ओडिशा

©Namita Panda

#love_shayari प्रेम कविता

81 View

White राधा नहीं रही कान्हा के पीछे गोविन्दा राधा को हरदम रिझाते बंशी की मधुर तान राधा पुकारे चंदा की चांदनी राधा से चमके ©Anuradha Priyadarshini

#कविता  White राधा  नहीं रही  कान्हा  के  पीछे 
गोविन्दा राधा को  हरदम रिझाते

बंशी की  मधुर तान  राधा पुकारे
चंदा की चांदनी  राधा  से  चमके

©Anuradha Priyadarshini

# प्रेम कविता

10 Love

न उनसे जफ़ा की उम्मीद, न उनसे वफ़ा की उम्मीद, हमें तो उनकी नज़र भरी, प्यारी मुस्कान की उम्मीद। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

#कविता  न उनसे जफ़ा की उम्मीद,
न उनसे वफ़ा की उम्मीद,
हमें तो उनकी नज़र भरी,
प्यारी मुस्कान की उम्मीद।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

प्रेम कविता

13 Love

White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की तस्वीर खिंचता हूँ... मैं मुझे लिखता हूँ, पर तुम्हें पढ़ता हूँ। मुझे कब परवाह रही है खुद की? मैं कब इतना सोचता हूँ? मैं मुझमे दिखता हूँ, पर तुममें रहता हूँ। बंजर जमीं को आस ज्यों इक ओस की, मैं यूँ तुम्हे देखता हूँ! मैं छूना चाहता हूँ खुद के तरन्नुम को, पर महसूस तुम्हें करता हूँ। मदहोशी! इश्क की तुम्हारी जिंदा करती है मुझे, मैं तुम्हारी यादों में धड़कता हूँ। सरगोशी में तुम्हारे आलम की, मैं सांसों में ख्याल तुम्हारा चाहता हूँ। आँखों मे आते लाल डोरे और धुँधली पड़ती नजर, फिर भी याद तुम्हें करता हूँ। मैं आईने देखता हूँ, पर अक्स में तुमको पाता हूँ। ख्वाबों को तुम्हारा पता मालूम है, मैं तो तुम्हे सोच के बस खो जाता हूँ। होशजदा होके तुमको ढूंढता हूँ, फिर बिस्तर पे बनी सलवटें देख मुस्कुराता हूँ। बेजार है ये आजादी लगती मुझको, मैं तो कैद होना चाहता हूँ। खुद से टूटकर...कहीं तुमसे जुड़ना चाहता हूँ। धड़कने और सांसे तो नाम है तुम्हारे, लेकिन इक कमी है...मैं तो हर लम्हें में तुम्हारा जिक्र चाहता हूँ। फकत बदहवास करता है ये बाजार मुझको, मैं सिर्फ तुममें उलझा रहना चाहता हूँ। ये उम्र तुम्हारे इश्क में बसर चाहता हूँ। तुमसे मिलती खुशियों की गरज कम नही होती, पर मैं तुम्हारे गम भी चाहता हूँ। तुमसे तो हँसी मिली ही है...जो आँसूं गिरे आंखों से तो उन कतरों से नाम तुम्हारा लिखना चाहता हूँ, जो मुहब्बत सरफरोशी सी कभी, मैं एकमुश्त मरना चाहता हूँ। मैं मुझको कर के फना! तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ, क्योंकि मैं तो बस तुम्हे चाहता हूँ! बस तुम्हे ही चाहता हूँ।। -✍️अभिषेक यादव ©Abhishek Yadav

#कविता #love_shayari  White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की 
तस्वीर खिंचता हूँ... मैं मुझे लिखता हूँ,
पर तुम्हें पढ़ता हूँ।

मुझे कब परवाह रही है खुद की?
मैं कब इतना सोचता हूँ?
मैं मुझमे दिखता हूँ, पर तुममें रहता हूँ।

बंजर जमीं को आस ज्यों इक ओस की, मैं यूँ तुम्हे देखता हूँ! 
मैं छूना चाहता हूँ खुद के तरन्नुम को,
पर महसूस तुम्हें करता हूँ।

मदहोशी! इश्क की तुम्हारी जिंदा करती है मुझे, 
मैं तुम्हारी यादों में धड़कता हूँ।
सरगोशी में तुम्हारे आलम की, मैं सांसों में ख्याल तुम्हारा चाहता हूँ।

आँखों मे आते लाल डोरे और धुँधली पड़ती नजर, 
फिर भी याद तुम्हें करता हूँ।
मैं आईने देखता हूँ, पर अक्स में तुमको पाता हूँ।

ख्वाबों को तुम्हारा पता मालूम है, 
मैं तो तुम्हे सोच के बस खो जाता हूँ।
होशजदा होके तुमको ढूंढता हूँ, फिर बिस्तर पे बनी सलवटें देख मुस्कुराता हूँ।

बेजार है ये आजादी लगती मुझको,
मैं तो कैद होना चाहता हूँ।
खुद से टूटकर...कहीं तुमसे जुड़ना चाहता हूँ।
धड़कने और सांसे तो नाम है तुम्हारे, लेकिन इक कमी है...मैं तो हर लम्हें में तुम्हारा जिक्र चाहता हूँ।

फकत बदहवास करता है ये बाजार मुझको, मैं सिर्फ तुममें उलझा रहना चाहता हूँ।
ये उम्र तुम्हारे इश्क में बसर चाहता हूँ।
तुमसे मिलती खुशियों की गरज कम नही होती, पर मैं तुम्हारे गम भी चाहता हूँ।

तुमसे तो हँसी मिली ही है...जो आँसूं गिरे आंखों से तो उन कतरों से नाम तुम्हारा लिखना चाहता हूँ, 
जो मुहब्बत सरफरोशी सी कभी, मैं एकमुश्त मरना चाहता हूँ।

मैं मुझको कर के फना!
तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ,
क्योंकि मैं तो बस तुम्हे चाहता हूँ! बस तुम्हे ही चाहता हूँ।।
     -✍️अभिषेक यादव

©Abhishek Yadav

#love_shayari प्रेम कविता

12 Love

#कविता  गुलाब की हर पंख में छिपी है वेसुमार मुहब्बत 
इसलिए हर आशिक करतें हैं इसकी इबादत 
फुल जैसी नाजुक होती है हर प्रेम कहानी 
मिलते हैं एक दिवाना और एक दिवानी 
खो जाते हैं खुद में जैसे मिला हो जन्नत 
चाहे जमाना कुछ कहे उनको लगता है सब खुबसूरत।
यही तो है प्यार करने वालों के खासियत।

©Writingworld369

प्रेम कविता

90 View

मोहलतें चादरों में लपेटकर एक भी न दी मुहब्बत मेरे नसीब में नहीं, यादें फिर क्यों दिल में दी.. कहते कि इश्क की लिबास तो दिल ही है... अरे उसे पर भी परत दर परत कजली क्यों लगा दी...! ©Dev Rishi

#कविता  मोहलतें चादरों में लपेटकर एक भी न दी 
मुहब्बत मेरे नसीब में नहीं, यादें फिर क्यों दिल में दी..
कहते कि इश्क की लिबास तो  दिल ही है...
अरे उसे पर भी परत दर परत कजली क्यों लगा दी...!

©Dev Rishi

प्रेम कविता

15 Love

#कविता #love_shayari  White माना के उम्र ढल चुकी है 
मगर दिल के किसी 
छोटे से कोने में 
शायद बचपन अभी बाकी है 
तभी तो 
बारिश की बूंदे 
शबनम के मोती की तरह 
पत्तों से ढलकती हैं 
तो मन मयूर भी नाच उठता है 
बाहों के पंख पसारे 
दूर कहीं चारदीवारी पर 
सरकते सिर हिलाते 
लाल गिरगिट को देखकर 
अनायास ही मन पूछता है 
गिरगिट गिरगिट बारिश होगी?
फिर खुद ही हंसने लगता है 
अपने इस अनसुलझे सवाल पर 
शायद अभी भी बाकी है 
दिल के किसी कोने में 
प्यारा सा बचपन 
तभी तो बाकी है 
जीने की आस 
मुस्कुराने का सामान
माना के उम्र ढल चुकी है 

नमिता स्मृति 
बोलांगीर ओडिशा

©Namita Panda

#love_shayari प्रेम कविता

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