ना जाने इस ज़माने में कैसी लगी ये अगन है
कि दिल जल रहा है, पर महफ़ूज़ बदन है
नफ़रतों के बीज 🌰बो दिये हैं इंसां ने
जो शजर-ए-नफ़रत बनकर हर एक के सर पे डाले अक्स फ़िगन है
मो. इक्साद अंसारी
```~مفت مشورہ~```
جو گھر میں رہ اپنے گھر والوں کی بات سمجھ اور برداشت نہیں کر سکتے انہیں مشورہ ہے کہ پر دیس میں غیروں کے طعنے اور سخت لحجے برداشت کر کہ دیکھیں انشاءالله استفادہ حاصل ہوگا....
#MuhammadFaisalSultani
दौलत व ताक़त का गुरुर है या फिर हुस्न व शबाब का
अजी चार दिन की ज़िन्दगी है इन चारों जनाब का
अरे अहमक़ दौलत का नशा और गुरूर ने क्या तुझे अक़्ल का मारा बना दिया
कि तू ये भी भूल गया कि मदफ़न एक ही जैसा होता है चाहे फ़क़ीर का हो या फिर हो नवाब का
मो. इक्साद अंसारी
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