sainik quotes in hindi
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#hunarbaaz #sainik  లోకంలో భయంలేని వాళ్ళెవరైనా ఉన్నారంటే వాళ్ళు ప్రాణభయంలేని నిరుపేదలైన కష్టజీవులు మాత్రమే.

©VADRA KRISHNA

#sainik

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दामन पे कोई छींट न खंजर पे कोई दाग़, तुम क़त्ल करे हो कि करामात करे हो 😔 #MukhtarAnsari . ©Sarfaraj idrishi

#MukhtarAnsari #Mukhtar #sainik  दामन पे कोई छींट न खंजर पे कोई दाग़, 
तुम क़त्ल करे हो कि करामात करे हो 
😔

#MukhtarAnsari

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©Sarfaraj idrishi

#sainik दामन पे कोई छींट न खंजर पे कोई दाग़, तुम क़त्ल करे हो कि करामात करे हो ! #Mukhtar Ansari@AmitSinghRajput ASR @jai shankar pandit @Devrajsolanki @Lucky Dhart Dhanraj Gamare

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#Quotes #sainik  18 नवंबर 1962
भारत चीन युद्ध
के सभी 114  शहीद जवानों को
 विनम्र श्रद्धांजलि

©Kumar Satyajit

#sainik 18 November 1962

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जिस दिन तू हुआ शाहिद ना जाने किस तरह तेरी माँ सोई होगी मैं तो बस इतना जानू कि वो भी गोली तेरी सीने में गिरने से पहले रोई होगी। ©jitendra Nimbark

#शायरी #sainik  जिस दिन तू हुआ शाहिद ना जाने
किस तरह तेरी माँ सोई होगी
मैं तो बस इतना जानू कि वो भी गोली
तेरी सीने में गिरने से पहले रोई होगी।

©jitendra Nimbark

#sainik

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बांध कफ़न खुद ही वो सर से निकल गए।। जवान मेरे देश के घर से निकल गए।। गर्मी की हो तपन या हों बर्फीली हवाएं। तूफां भी देख हौंसले डर के निकल गए।। जज्बा है देश प्रेम का मरता नहीं कभी। अमर हुए वो वीर जो मर के निकल गए।। चलाते रहे गोलियां रुकती रही सांसे। अदा वो फ़र्ज़ माटी के करके निकल गए।। तूफान थे इरादों में बारूद था सीना। मुठ्ठी में आंधियां लिए लड़ के निकल गए।। आंचल से दूध बह गया राखी तड़फ गई। सीना पिता का गर्व से भर के निकल गए।। वह राह तकती रह गईं बनने को दुल्हनियां। वतन की मांग खूं से वो भर के निकल गए।। महबूब वतन सुरभि उनकी सांसों में वफा। दिलों में मुहब्बत को वो धर के निकल गए।। ©रिंकी कमल रघुवंशी "सुरभि"

#पुलवामा #कविता #sainik  बांध कफ़न खुद ही वो सर से निकल गए।।
जवान  मेरे  देश  के   घर  से  निकल गए।।

गर्मी की  हो तपन  या  हों  बर्फीली  हवाएं।
तूफां भी  देख  हौंसले  डर के निकल गए।।

जज्बा  है  देश  प्रेम  का  मरता नहीं कभी।
अमर  हुए वो वीर जो  मर के निकल गए।।

चलाते   रहे   गोलियां  रुकती  रही   सांसे।
अदा वो  फ़र्ज़ माटी के करके निकल गए।।

तूफान  थे  इरादों  में   बारूद  था    सीना।
मुठ्ठी में आंधियां लिए लड़ के निकल गए।।

आंचल से  दूध  बह गया राखी तड़फ गई।
सीना पिता का गर्व से भर के निकल गए।।

वह राह तकती रह गईं बनने को  दुल्हनियां।
वतन की मांग खूं से वो भर के निकल गए।।

महबूब  वतन सुरभि  उनकी सांसों में वफा।
दिलों में मुहब्बत को  वो धर के निकल गए।।

©रिंकी कमल रघुवंशी "सुरभि"

ये देश मेरे कुछ कर दे ऐसा मैं भी भारत का अग्निवीर बन जाऊं सैनिक वर्दी में गर्व से तान सीना सिर ऊँचा रहे हमेशा माँ तुझे सलाम तेरी सेवा में मग्न दिन रात रहुँ बस जन्म लिया जिस मिट्टी में बस उसका रंग फीका न हो कभी तिरंगा यूँही लहरता रहे ©Mahadev Son

 ये देश मेरे कुछ कर दे ऐसा मैं भी 
भारत का अग्निवीर बन जाऊं 

सैनिक वर्दी में गर्व से तान सीना
सिर ऊँचा रहे हमेशा माँ तुझे सलाम

तेरी सेवा में मग्न दिन रात रहुँ बस 
जन्म लिया जिस मिट्टी में बस उसका रंग 
फीका न हो कभी तिरंगा यूँही लहरता रहे

©Mahadev Son

बस अग्निवीर बन जाऊँ जीवन तेरे नाम कर जाऊँ

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