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मै दौर ए तन्हाई से गुज़र रहा था। तन्हा ही परछाई से गुज़र रहा था।
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मै जब भी मौज़-ए-सफ़र में रहता हूँ ऐसा लगता है जैसे घर में रहता हूं। कोई मुझे ना जाने ये मुमकिन तो नहीं मै तो अह्ल-ए-जहां की नज़र में रहता हूं। सुनो तुम जब चाहो चले आना मेरे पास मै तुम्हारे ही शहर प्रेम नगर में रहता हूं। मै ख़ुद को ख़ुदा से अलग नहीं मानता मै तो मंदिर के बराबर में रहता हूं। सुनो जय मेरी तलाश अब बंद भी करो मै तो सबके दिल-ओ-ज़िगर में रहता हूं। ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
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White मेरी तन्हाई का सबब है अपना। इक तेरे सिवा यहां सब है अपना। वो भी चुप बैठ गया बुतखाने में। में समझता था कि रब है अपना। आप से ख़फा, आप से गिला अरे! मेरे हुज़ूर ये मसला कब है अपना। आपको चहते है आपको मानते है। आपको चाहना ही मतलब है अपना। मेरी हर धड़कन आपके नाम हो। जय बस यही चाह है अब अपना। मृत्युंजय विश्वकर्मा ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
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इक दौर ए मकबुलियत देखी है। हमने सबकी सहूलियत देखी है। आप निगाहों से गुफ्तगू करते हो। ग़ज़ब आपकी मासूमियत देखी है। आग से आग बुझाने की चाहत है। दुश्मनों की भी खूब नियत देखी है। वतन के दुश्मन अपने ही वतन वाले है यकीं मानो ऐसी भी जमहूरियत देखी है। यूं बोतलों को क्यूं उछालते हो जय। जवानी में हमनें भी रंगीनियत देखी है। ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
12 Love
ये उदासी शायद मेरी मुकद्दर हो। हो न हो ये गम खुशी से बेहतर हो। मंदिर जाऊंगा तो छू कर देखूंगा। शायद खुदा सच मुच में पत्थर हो। मुझसे हक़ीक़त कहो या फसाना। मेरे लिए इनमें ना कोई अंतर हो। ज़िंदगी की कड़वाहटों से जो मुक्ति दे। बाबा ! दे दो मुझे अगर कोई मंतर हो। आप मिलों मुझसे तो ऐसे मिलो। आप जो बाहर हो वही भीतर हो। ज़िंदादिली की ऐसी मिसाल बनो जय। दिल में आग और आंखें में समंदर हो। दिल पे ज़ख़्म, राह में ठोकरें खाई है। तब कहीं जाके ग़ज़ल की फन पाई है। बेटियां आज भी कोख में मर जाती है। हुकूमत कहती है इनमें ना कोई अंतर हो। ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
13 Love
बाद मुद्दत के फिर ऐसी वफा करोगी क्या? किसी और के लिए मुझसे दगा करोगी क्या? गर हम बिछड़ जाएं दुनियां की भीड़ कभी। ऐसे में दिल से मिलने की दुआ करोगी क्या? हां उस वक्त जब आप किसी और की होंगी। तब भी मेरे दर्द-ए-दिल की दवा करोगी क्या? जब आप रौनक-ए-गैर की बाहों की होंगी। फिर भी मेरे हक़ में ही दुआ करोगी क्या? जिस तरह आप जय के मुक़ाबिल हो अभी। किसी और से ऐसे हमकलाम करोगी क्या? ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"
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