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White दीपक की ज्योति से जगमगाए जग सारा प्रकाशमय हो जीवन आपका और हमारा तिमीर का हर एक अंश हर ले दीपों का त्योहार आपके जीवन मे लाए दीपोत्सव खुशियाँ हाजार आपको हमारी ओर से मुबारक हो दीपों का ये त्योहार ©Bhupendra Rawat

#शायरी #happy_diwali  White दीपक की ज्योति से जगमगाए जग सारा
प्रकाशमय हो जीवन आपका और हमारा
तिमीर का हर एक अंश हर ले दीपों का त्योहार
आपके जीवन मे लाए दीपोत्सव खुशियाँ हाजार

आपको हमारी ओर से मुबारक हो दीपों का ये त्योहार

©Bhupendra Rawat

#happy_diwali दीपक की ज्योति से जगमगाए जग सारा प्रकाशमय हो जीवन आपका और हमारा तिमीर का हर एक अंश हर ले दीपों का त्योहार आपके जीवन मे लाए दीप

13 Love

साँप के आलिंगनों में मौन चंदन तन पड़े हैं सेज के सपनों भरे कुछ फूल मुर्दों पर चढ़े हैं ----------------------------- स्वप्न के शव पर खड़े हो माँग भरती हैं प्रथाएँ कंगनों से तोड़ हीरा खा रहीं कितनी व्यथाएँ ------------------------------- जो समर्पण ही नहीं हैं वे समर्पण भी हुए हैं देह सब जूठी पड़ी है प्राण फिर भी अनछुए हैं - भारत भूषण ©deepak sharma

#कविता  साँप के आलिंगनों में 
मौन चंदन तन पड़े हैं 
सेज के सपनों भरे कुछ 
फूल मुर्दों पर चढ़े हैं
-----------------------------
स्वप्न के शव पर खड़े हो 
माँग भरती हैं प्रथाएँ 
कंगनों से तोड़ हीरा 
खा रहीं कितनी व्यथाएँ 
-------------------------------
जो समर्पण ही नहीं हैं 
वे समर्पण भी हुए हैं 
देह सब जूठी पड़ी है 
प्राण फिर भी अनछुए हैं

- भारत भूषण

©deepak sharma

कल के पर्व की स्टेटस और स्टोरीज देखकर भारत भूषण जी कविता के कुछ अंश 😄🤪

10 Love

#RadheGovinda

#RadheGovinda @Sethi Ji Anil Ray @Anudeep कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Satyajeet Roy

216 View

#pujaudeshi

#pujaudeshi @Vaibhav Harsh Saxena शाकिर Shakir mahesh @KRISHNA कवि आलोक मिश्र "दीपक"

1,116 View

दो ऋतुएँ जो कि मेहरबान रहती थीं मुझपर ख़फ़ा जो आप हुए वो भी खिन्न हो ही गईं जो अंश माँगा था उसने वो हर दिया हमने हमारी राहें मगर फिर भी भिन्न हो ही गईं ©Ghumnam Gautam

#भिन्न #ऋतुएँ #ghumnamgautam #अंश  दो ऋतुएँ जो कि मेहरबान रहती थीं मुझपर
ख़फ़ा जो आप हुए वो भी खिन्न हो ही गईं

जो अंश माँगा था उसने वो हर दिया हमने
हमारी राहें मगर फिर भी भिन्न हो ही गईं

©Ghumnam Gautam

अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का, समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, बस यही तरक़ीब है दुनिया भुलाने का, मिला खेवनहार दरिया पार कर लूँगा, ज़िस्म में ताकत नहीं गोता लगाने का, पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का, जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, बांसुरी की तान पर झूला झुलाने का, ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, हृदय है प्यासा उसे पानी पिलाने का, बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन', मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दीपक  अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का,
समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, 

मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, 
बस यही तरक़ीब है  दुनिया  भुलाने का,

मिला खेवनहार  दरिया पार  कर  लूँगा, 
ज़िस्म में ताकत नहीं  गोता  लगाने का,

पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, 
जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का,

जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, 
बांसुरी की  तान पर  झूला  झुलाने का,

ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, 
हृदय  है  प्यासा  उसे  पानी  पिलाने  का,

बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन',
मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का,
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#दीपक जलाने का#

16 Love

White दीपक की ज्योति से जगमगाए जग सारा प्रकाशमय हो जीवन आपका और हमारा तिमीर का हर एक अंश हर ले दीपों का त्योहार आपके जीवन मे लाए दीपोत्सव खुशियाँ हाजार आपको हमारी ओर से मुबारक हो दीपों का ये त्योहार ©Bhupendra Rawat

#शायरी #happy_diwali  White दीपक की ज्योति से जगमगाए जग सारा
प्रकाशमय हो जीवन आपका और हमारा
तिमीर का हर एक अंश हर ले दीपों का त्योहार
आपके जीवन मे लाए दीपोत्सव खुशियाँ हाजार

आपको हमारी ओर से मुबारक हो दीपों का ये त्योहार

©Bhupendra Rawat

#happy_diwali दीपक की ज्योति से जगमगाए जग सारा प्रकाशमय हो जीवन आपका और हमारा तिमीर का हर एक अंश हर ले दीपों का त्योहार आपके जीवन मे लाए दीप

13 Love

साँप के आलिंगनों में मौन चंदन तन पड़े हैं सेज के सपनों भरे कुछ फूल मुर्दों पर चढ़े हैं ----------------------------- स्वप्न के शव पर खड़े हो माँग भरती हैं प्रथाएँ कंगनों से तोड़ हीरा खा रहीं कितनी व्यथाएँ ------------------------------- जो समर्पण ही नहीं हैं वे समर्पण भी हुए हैं देह सब जूठी पड़ी है प्राण फिर भी अनछुए हैं - भारत भूषण ©deepak sharma

#कविता  साँप के आलिंगनों में 
मौन चंदन तन पड़े हैं 
सेज के सपनों भरे कुछ 
फूल मुर्दों पर चढ़े हैं
-----------------------------
स्वप्न के शव पर खड़े हो 
माँग भरती हैं प्रथाएँ 
कंगनों से तोड़ हीरा 
खा रहीं कितनी व्यथाएँ 
-------------------------------
जो समर्पण ही नहीं हैं 
वे समर्पण भी हुए हैं 
देह सब जूठी पड़ी है 
प्राण फिर भी अनछुए हैं

- भारत भूषण

©deepak sharma

कल के पर्व की स्टेटस और स्टोरीज देखकर भारत भूषण जी कविता के कुछ अंश 😄🤪

10 Love

#RadheGovinda

#RadheGovinda @Sethi Ji Anil Ray @Anudeep कवि आलोक मिश्र "दीपक" @Satyajeet Roy

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#pujaudeshi

#pujaudeshi @Vaibhav Harsh Saxena शाकिर Shakir mahesh @KRISHNA कवि आलोक मिश्र "दीपक"

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दो ऋतुएँ जो कि मेहरबान रहती थीं मुझपर ख़फ़ा जो आप हुए वो भी खिन्न हो ही गईं जो अंश माँगा था उसने वो हर दिया हमने हमारी राहें मगर फिर भी भिन्न हो ही गईं ©Ghumnam Gautam

#भिन्न #ऋतुएँ #ghumnamgautam #अंश  दो ऋतुएँ जो कि मेहरबान रहती थीं मुझपर
ख़फ़ा जो आप हुए वो भी खिन्न हो ही गईं

जो अंश माँगा था उसने वो हर दिया हमने
हमारी राहें मगर फिर भी भिन्न हो ही गईं

©Ghumnam Gautam

अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का, समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, बस यही तरक़ीब है दुनिया भुलाने का, मिला खेवनहार दरिया पार कर लूँगा, ज़िस्म में ताकत नहीं गोता लगाने का, पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का, जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, बांसुरी की तान पर झूला झुलाने का, ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, हृदय है प्यासा उसे पानी पिलाने का, बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन', मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #दीपक  अमावस हो रात फिर दीपक जलाने का,
समय हो प्रतिकूल कान्हा को बुलाने का, 

मन लगा गोपाल में तन हो गया गोकुल, 
बस यही तरक़ीब है  दुनिया  भुलाने का,

मिला खेवनहार  दरिया पार  कर  लूँगा, 
ज़िस्म में ताकत नहीं  गोता  लगाने का,

पुराने ज़ख़्मों को बे-मतलब कुरेदो मत, 
जो नहीं अपना उसे फ़िर भूल जाने का,

जन्म से आखिर तक संघर्ष का आलम, 
बांसुरी की  तान पर  झूला  झुलाने का,

ज्ञान के पानी से बुझती प्यास जन्मों की, 
हृदय  है  प्यासा  उसे  पानी  पिलाने  का,

बात जिसकी समझ में है आ गई 'गुंजन',
मिल गया अवसर उसे भवपार जाने का,
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
             प्रयागराज उ॰प्र॰

©Shashi Bhushan Mishra

#दीपक जलाने का#

16 Love

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